Online gaming पर रोक, सरकार का सही फैसला
ऑनलाइन गेमिंग (Online gaming) पर रोक लगाकर केंद्र सरकार ने वाकई बेहद प्रशंसनीय काम किया है।
![]() सरकार का सही फैसला |
गुरुवार को इलेक्ट्रिानिक्स व आईटी मंत्रालय ने इस संबंध में अधिसूचना जारी की। अब सभी ऑनलाइन गेम को सेल्फ रेगुलेटरी आग्रेनाइजेशन (एसआरओ) की अनुमति लेनी होगी। यानी सभी ऑनलाइन गेम को अपनी साइट पर यह बताना होगा कि उनकी साइट एसआरओ से मंजूरी प्राप्त है। रमी, तीन पत्ती और फ्री फायर गेम को लेकर विवाद ज्यादा था। ऑनलाइन गेम ने पिछले कुछ वर्षो में आमजन खासकर युवाओं में अपनी पैठ बना रखी थी।
एक रिपोर्ट के अनुसार ऑनलाइन गेम्स बच्चों के व्यवहार पर काफी असर डाल रहे हैं। खासकर हिंसक प्रवृत्ति वाले गेम्स मस्तिष्क पर ज्यादा बुरा असर डाल रहे हैं। कई बार ये तथ्य भी प्रकाश में आए कि बच्चे गेमिंग के चक्कर में पैसे चुरा रहे हैं। दरअसल, देश में ऑनलाइन गेमिंग और ऑनलाइन गैंबलिंग के बीच कोई स्पष्ट कानूनी अंतर नहीं है। अधिकांश ऑनलाइन गेमिंग पोर्टल, जिनमें सट्टेबाजी या गैंबलिंग (जुआ) शामिल हैं, वो अपने ऐप या उत्पाद को ‘कौशल वाले खेल’ के तौर पर बतात हैं। देशभर में इसके अभूतपूर्व तरीके से फैल जाने के कारण ज्यादातर राज्य सरकारें ऑनलाइन गेमिंग पर प्रतिबंध लगाने के समर्थन में हैं।
तमिलनाडु सरकार का तर्क है कि इन ऑनलाइन सट्टेबाजी खेल में किशोर और वयस्क अपनी पूरी कमाई और बचत का नुकसान कर रहे हैं। इसके कारण वैवाहिक संबंधों में खटास और अलगाव की घटनाओं को रोका नहीं जा सकता है। बहरहाल, इन सबके केंद्र में भारी-भरकम कमाई है। अनुमान है कि वर्ष 2027 तक ऑनलाइन गेमिंग का कारोबार भारत में 8.6 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगा। 2022 में ऑनलाइन गेमिंग का कारोबार 2.6 अरब डॉलर से अधिक का है।
अलबत्ता, ऑनलाइन गेमिंग को लेकर अस्पष्टता और नीति के अभाव में यह साफ नहीं हो पा रहा था कि किस प्रकार के गेम को इजाजत मिलनी चाहिए और किसे नहीं। कुछ समय पूर्व कई सारे सेलिब्रिटी का गेमिंग को लेकर प्रचार करने पर भी सवाल खड़े हुए थे। देखना है, अब सरकार की सख्ती के बाद इस पर पूर्ण रूप से रोक लग पाती है या चोरी-छिपे यह ‘खेल’ चलता रहेगा।
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