RBI के गवर्नर ने रेपो दर न बढ़ाए जाने पर खुश होने वालों की उम्मीदों पर पानी फेरा
भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das, Governor of the Reserve Bank of India) ने यह कहकर रेपो दर (repo rate) न बढ़ाए जाने पर खुश होने वालों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है कि इस बार प्रमुख नीतिगत दर रेपो में कोई बदलाव न करने का फैसला स्थायी नहीं है।
भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास |
इस कदम को भविष्य के संकेतक के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए, क्योंकि केंद्रीय बैंक जरूरत होने पर दरों में और वृद्धि करने में कतई नहीं हिचकिचाएगा। चालू वित्त वर्ष की पहली मौद्रिक समीक्षा बैठक के बाद दास ने साफ कर दिया कि मौद्रिक नीति समिति भविष्य में ब्याज दर के मोच्रे पर जरूरत के लिहाज से कदम अवश्य उठाएगी। दास ने कहा मैं यही कहूंगा कि रेपो दर में बदलाव नहीं हुआ है, लेकिन यह कदम स्थायी एकदम नहीं है।
रेपो दरें न बढ़ाए जाने के फैसले से रियल स्टेट सेक्टर में खुशी की लहर थी और होम लोन ले चुके लाखों उपभोक्ताओं के चेहरे पर भी मुस्कान खिल गई। काफी समय से लगातार रेपो दरें बढ़ रही थीं और बिल्डर परेशान थे कि भवनों की मांग में आई तेजी पर ब्रेक लग गया था।
उपभोक्ता ब्याज दरें लगातार बढ़ने से त्रस्त थे। इन सभी की खुशियों को गवर्नर ने झटका दे दिया है। हालांकि, केंद्रीय बैंक का फैसला विश्लेषकों के लिए हैरान करने वाला है जो मान रहे थे कि रिजर्व बैंक नीतिगत दर में बढ़ोतरी को रोकने से पहले रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की एक और वृद्धि करेगा। रिजर्व बैंक ने मई, 2022 से अब तक रेपो दर में ढाई प्रतिशत की वृद्धि कर चुका है। केंद्रीय बैंक का मुद्रास्फीति को निर्णायक रूप से नीचे लाने का काम समाप्त नहीं हुआ है।
रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष (2023-24) के लिए खुदरा मुद्रास्फीति का अनुमान मामूली घटाकर 5.2 प्रतिशत कर दिया। इससे साफ है कि केंद्रीय बैंक प्रतिकूल जलवायु परिस्थितियों और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय बाजारों में अनिश्चितता बढ़ने से मुद्रास्फीति के मामले में भविष्य में जोखिम को लेकर आशंकित है। तेल निर्यातक देशों के संगठन के कच्चे तेल के उत्पादन को घटाने के फैसले से मुद्रास्फीति का परिदृश्य गतिशील रहने की चिंता भी उसे है।
सामान्य मानसून के बीच यदि कच्चे तेल के दाम औसतन 85 डॉलर प्रति बैरल पर रहते हैं तो चालू वित्त वर्ष में खुदरा मुद्रास्फीति 5.2 प्रतिशत रहने की उम्मीद है। जब तक मुद्रास्फीति संतोषजनक दायरे में नहीं आती है, केंद्रीय बैंक इसे काबू में रखने के निरंतर प्रयास करता रहेगा। रबी फसल का रिकार्ड उत्पादन स्थिति में परिवर्तन ला सकता है।
| Tweet |