कसता शिंकजा
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) का दावा है कि लालू प्रसाद यादव के खिलाफ जमीन के बदले नौकरी घोटाले में उसे अभी तक 600 करोड़ रुपये की मनी लॉन्ड्रिंग के सबूत मिल चुके हैं।
कसता शिंकजा |
ईडी ने शुक्रवार को दिल्ली-एनसीआर, पटना, रांची और मुंबई में छापेमारी की। छापों के दौरान घोटाले से अर्जित धन से चल-अचल संपत्तियां खरीदने के साथ ही जेम्स एंड ज्वेलरी से जुड़ी कंपनियों में भी धन खपाने का पता चला है। प्रवर्तन एजेंसी के सूत्रों के अनुसार घोटाले से खरीदी गई संपत्तियां और भी ज्यादा हो सकती हैं।
इस बाबत आने वाले दिनों में स्थिति साफ हो सकेगी। अचल संपत्तियां बेनामी मालिकों, शेल कंपनियों की आड़ में खरीदी गई हैं। ईडी के मुताबिक, लालू यादव के रेल मंत्री रहते हुए रेलवे के कई जोन में हुई नियुक्तियों में 50 प्रतिशत लोगों के लालू और उनके परिवार के क्षेत्रों से जुड़े होने का पता चला है। काफी समय से यह आरोप लगता रहा है कि सरकार ईडी, सीबीआई, इन्कम टैक्स विभाग जैसी एजेंसियां पीछे लगाकर विपक्ष के नेताओं को परेशान करती है। इन एजेंसियों के कथित दुरुपयोग का आरोप कोई नया नहीं है।
केंद्र में सरकार चाहे किसी भी पार्टी की रही हो लेकिन उसे इस आरोप का सामना करना ही पड़ा है। भाजपा सरकार में तो यह आरोप कुछ ज्यादा ही जोर-शोर से लगाया जा रहा है। दरअसल, भाजपा सरकार भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टोलरेंस की बात कहती है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सत्ता में चुनकर आते ही कह दिया था कि न खाऊंगा, न खाने दूंगा। स्वाभाविक है कि वित्तीय अनियमितताओं और भ्रष्टाचार की कहीं भी भनक लगते ही ये एजेंसियां सक्रिय हो जाती है। लालू प्रसाद और उनके परिजनों के आवासीय ठिकानों पर छापेमारी को भी इसी नजर से देखा जा सकता है, लेकिन जो बरामदगियां हुई हैं, और आगे भी होने की उम्मीद है, उन्हें देखते हुए यह कह देने भर से काम नहीं चलने वाला कि विपक्षी नेताओं को परेशान करने की नीयत से छापेमारी की जा रही है।
छापेमारी के बाद जरूरी है कि प्राप्त सबूत अदालत में पेश करके जल्द से जल्द आरोपों को दोषसिद्धी में तक पहुंचाया जाए। आरोप में जान नहीं है, तो वे वैसे ही अदालत के सामने दम तोड़ देंगे। कहना यह कि ऐसे मामले ज्यादातर तारीख-पर-तारीख के प्रचलन के चलते किसी फैसलाकुन मुकाम तक पहुंच ही नहीं पाते। ऐसे में इस रूप में भी नजीर नहीं बन पाते हैं कि भ्रष्टाचार करके कोई बच नहीं सकता। चाहे कितना ही रसूखदार क्यों न हो। इस प्रकार का संदेश दिया जाना बेहद जरूरी है।
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