भारत का बदला रुख
अब भारत पड़ोसी मुल्कों खासकर पाकिस्तान और चीन के खिलाफ नई रणनीति के साथ पेश आता है।
भारत का बदला रुख |
ज्यादा उकसाने पर भारत इन दोनों देशों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई भी कर सकता है। ऐसा कहकर अमेरिकी खुफिया तंत्र ने इस बात की तस्दीक तो कर ही दी कि भारत अब बदल चुका है। अमेरिकी खुफिया तंत्र के वाषिर्क मूल्यांकन में यह निष्कर्ष निकल कर सामने आया है। अभी के समय में चीन भारत को दबा नहीं सकता और पाकिस्तान परेशान नहीं कर सकता है। दरअसल, पिछले सात-आठ वर्षो में भारत ने चीन को उसकी शैली में जवाब दिया है।
यह न केवल चीन बल्कि विश्व के उन देशों के लिए भी अचरज भरा रहा, जो भारत को थोड़ा संयमी देश मानते रहे हैं। पहले के दौर में चीन की कारगुजारियों से भारत हलकान रहता था। कभी सीमा का अतिक्रमण तो कभी भारतीय सैनिकों के साथ हिंसक व्यवहार; चीन ने हमेशा भारत को तनाव में रखा।
मगर अब गणित बदल चुका है। भारत न तो चीन और पाकिस्तान की बंदर घुड़कियों से डरने वाला है और न दबने वाला। उसने अपने बदले रूप का दर्शन डोकलाम प्रकरण में दिखाया, जब चीन की सेना ने उस इलाके में भारी लाव-लश्कर के साथ मौजूदगी दर्ज कराई। जवाब में भारतीय सैनिक भी महीनों उनके सामने डटे रहे। आम तौर पर चीन कभी भी आमने-सामने की लड़ाई नहीं लड़ता है। वह पीठ पीछे वार करने में यकीन रखता है।
यही वजह है कि वह कभी नेपाल को भारत के खिलाफ आगे करता है तो कभी पाकिस्तान के कंधे पर बंदूक रखकर चलाता है। इससे इन देशों के साथ भारत के रिश्ते सहज नहीं रह गए हैं यानी भारत अब बहुत कुछ सहने की हालत में नहीं है। वह क्रिया की प्रतिक्रिया में विश्वास रखता है। अमेरिकी खुफिया तंत्र का आकलन इस मायने में महत्त्वपूर्ण है कि भारत आज के समय में भारत विश्व केंद्र की धुरी बना हुआ है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शासनकाल में भारत ने इस धारणा को पूरी तरह गलत साबित किया है कि कोई भी देश भारत को उकसा कर उसे परेशान कर सकता है। चीन चूंकि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर हमेशा तनावपूर्ण माहौल पैदा करता है, लिहाजा उस पर नजर रखने की जरूरत है। पाकिस्तान की हरकत भी कम नागवार नहीं रहती। उसकी करतूतें हमेशा शांति की राह में बाधक बनती रही हैं। इस नाते अमेरिकी खुफिया तंत्र के आकलन को हल्के में लेने की भूल न तो चीन को करनी चांिहए न पाक को।
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