कार्रवाई तो बनती है
ऑस्ट्रेलिया में हिंदू मंदिरों में तोड़फोड़ का सिलसिला जारी है। नया मामला ब्रिस्बेन से प्रकाश में आया है, जहां खालिस्तान समर्थकों ने श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर में तोड़फोड़ की।
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मंदिर की दीवारों पर भारत विरोधी नारे लिख दिए। इससे पहले ब्रिस्बेन के ही एक अन्य गायत्री मंदिर को लाहौर स्थित खालिस्तान चरमपंथियों से धमकी भरे फोन किए गए थे। ऑस्ट्रेलिया में दो महीने में हिंदू मंदिरों में तोड़फोड़ की यह चौथी घटना है। बारह जनवरी को बाप्स स्वामीनारायण मंदिर, मेलबर्न, सोलह जनवरी को श्री शिव विष्णु मंदिर, विक्टोरिया और तेइस जनवरी को इस्कॉन मंदिर, मेलबर्न में तोड़फोड़ की गई थी। भारत सरकार ने ऑस्ट्रेलिया सरकार के समक्ष हिंदू मंदिरों में तोड़फोड़ और भारत विरोधी नारे लिखने की बात उठाई है।
विदेश सचिव अरिंदम बागची ने आरोपियों पर कड़ी कार्रवाई करने के साथ ही भविष्य में ऐसी घटना की पुनरावृति न होने देने की मांग की है। ‘द ऑस्ट्रेलियन टूडे’ वेबसाइट पर श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर की प्रबंध समिति के अध्यक्ष सतिंदर शुक्ला ने बताया कि घटना की बाबत क्वींसलैंड पुलिस को सूचित कर दिया गया है, जिसने मंदिर और भक्तों की सुरक्षा का आासन दिया है।
दरअसल, पिछले कुछ वर्षो से कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन आदि देशों में हिंदुओं को आतंकित करने और हिंदू मंदिरों को क्षतिग्रस्त करने की अनेक घटनाएं सामने आई हैं। सभी का पैटर्न एक सा है, वैसा ही जैसा कि ‘सिख फॉर जस्टिस’ नाम का संगठन (खालिस्तान समर्थक) अपनाता है। यह संगठन दुष्प्रचार और ‘साइबर बुलिंग’ करने के साथ ही डराने-धमकाने में लिप्त है। पश्चिमी देशों के साथ ही ऑस्ट्रेलिया और कनाडा आदि देशों में घृणा अपराध के प्रति वहां की सरकारें बेहद संवेदनशील रहती हैं।
अवाम भी घृणा अपराध की मानसिकता को सिरे से खारिज करता है। जाहिर है कि ऐसी घटनाओं की तीखी आलोचना भी होती है। इसके बावजूद शरारती तत्व कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन आदि देशों में कुत्सित मंसूबे को अंजाम देने में जुटे हैं। सवाल यह है कि वे ऐसा क्यों कर पा रहे हैं। भारत को ऐसी घटनाओं के खिलाफ जोरदार आवाज तो उठानी होगी ताकि चुनाव आदि के नजरिए से निहित स्वार्थ को ये देश तरजीह देने से बचें। बेशक, भारत को इस बाबत जोरदार कूटनीतिक प्रयास करने होंगे।
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