Gukesh Dommaraju : गुकेश ने करोड़पति बनने पर कहा, मेरा शतरंज खेलने का कारण पैसा नहीं

Last Updated 16 Dec 2024 08:24:27 AM IST

नए विश्व चैंपियन डी. गुकेश के लिए करोड़पति बनने का तमगा बहुत मायने रखता है लेकिन वह भौतिक लाभ के लिए नहीं खेलते बल्कि इसका आनंद उठाने के लिए खेलते हैं।


वह इस लगाव को तब से बरकरार रखने में कामयाब रहे हैं जब शतरंज बोर्ड उनके लिए सबसे अच्छा खिलौना हुआ करता था। चेन्नई के 18 वर्षीय गुकेश अब 11.45 करोड़ रुपए मिलने से अधिक अमीर हो गए हैं जो उन्हें फाइनल में चीन के डिंग लिरेन को हराने के लिए फिडे से पुरस्कार राशि के रूप में मिलेगा।

गुकेश के पिता रजनीकांत ने अपने बेटे के साथ सर्किट पर जाने के लिए ‘ईएनटी सर्जन’ के तौर पर अपना कॅरियर छोड़ दिया जबकि उनकी मां पद्मकुमारी एक माइक्रोबायोलॉजिस्ट हैं जो परिवार की एकमात्र कमाने वाली बन गईं।

यह पूछे जाने पर कि करोड़पति होना उनके लिए क्या मायने रखता है तो गुकेश ने एक साक्षात्कार में फिडे को बताया, ‘यह बहुत मायने रखता है। जब मैं शतरंज में आया तो हमें एक परिवार के रूप में कुछ मुश्किल फैसले लेने पड़े। मेरे माता-पिता वित्तीय और भावनात्मक कठिनाइयों से गुजरे थे। अब, हम अधिक सहज हैं और मेरे माता-पिता को उन चीजों के बारे में सोचने की जरूरत नहीं है।’

उन्होंने कहा, ‘व्यक्तिगत रूप से मैं पैसे के लिए शतरंज नहीं खेलता।’ वह हमेशा याद रखने की कोशिश करते हैं कि जब उसे अपना पहला शतरंज बोर्ड मिला था तो उन्होंने यह खेल क्यों खेलना शुरू किया था।

नए विश्व चैंपयन बने गुकेश ने कहा, ‘मैं अब भी वही बच्चा हूं जिसे शतरंज पसंद है। यह सबसे अच्छा खिलौना हुआ करता था।’ मितभाषी विश्व चैंपियन के पिता उनके प्रबंधक की भूमिका निभाते हैं, उनकी सभी ऑफ-बोर्ड गतिविधियों का ध्यान रखते हैं और उसे खेल पर ध्यान केंद्रित करने देते हैं जबकि उनकी मां भावनात्मक और आध्यात्मिक शक्ति का स्तंभ है।

गुकेश ने कहा, ‘मां अब भी कहती है। मुझे यह जानकर खुशी होगी कि तुम एक महान शतरंज खिलाड़ी हो, लेकिन मुझे यह सुनकर अधिक खुशी होगी कि तुम एक महान व्यक्ति हो।’ अब भी अपनी किशोरावस्था में गुकेश को लगता है कि खेल के एक छात्र के रूप में वह जितना अधिक शतरंज के बारे में सीखेगा, उतना ही उसे पता चलेगा कि वह कितना कम जानता है।

उन्होंने कहा, ‘यहां तक कि सबसे महान खिलाड़ी भी बहुत सारी गलतियां करते हैं। भले ही तकनीक इतनी उन्नत हो, लेकिन शतरंज के बारे में अब भी बहुत कुछ सीखना बाकी है। मेरा दृढ़ विश्वास है कि जितना अधिक आप कुछ सीखते हैं, उतना ही आपको अहसास होता है कि आप उस चीज को नहीं जानते हैं।’

गुकेश ने कहा, ‘जब भी मैं शतरंज बोर्ड पर होता हूं तो मुझे लगता है कि मैं कुछ नया सीख रहा हूं। यह असीमित सुंदरता की प्रक्रिया है।’

भाषा
सिंगापुर


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