सिल्क्यारा सुरंग में सफलता मिली, CM धामी ने कहा- इसका नामकरण बाबा बौखनाग के नाम पर होगा

Last Updated 16 Apr 2025 04:31:47 PM IST

‘सिल्क्यारा बेंड-बरकोट रोड’ सुरंग में दोनों तरफ से खुदाई पूरी होने के साथ बुधवार को बड़ी सफलता मिली। इसी सुरंग में 2023 में 41 श्रमिक दो सप्ताह से अधिक समय तक फंसे रहे थे।


सफलता मिलने पर एक समारोह आयोजित किया गया। इस दिन सुरंग के मुहाने पर बाबा बौखनाग मंदिर का अभिषेक समारोह भी हुआ।

दोनों समारोहों में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भाग लिया। उन्होंने कहा कि 2023 में सुरंग के अंदर फंसे मजदूरों को बाबा बौखनाग के आशीर्वाद के कारण बचाया जा सका और देवता के नाम पर सुरंग का नाम बदलने के लिए कदम उठाए जाएंगे।

धामी ने सुरंग स्थल पर दोनों कार्यक्रमों के उपलक्ष्य में आयोजित एक समारोह में उपस्थित लोगों से कहा, ‘‘बाबा बौखनाग की पूजा करने के केवल तीन दिन बाद, दुनिया के सबसे लंबे और सबसे चुनौतीपूर्ण बचाव अभियान में सभी 41 श्रमिकों को सुरक्षित निकाल लिया गया। यह बाबा बौखनाग के आशीर्वाद से संभव हुआ जो किसी चमत्कार से कम नहीं था।’’

उन्होंने लंबे समय तक जारी बचाव अभियान के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के निरंतर समर्थन और मार्गदर्शन के लिए उनको भी धन्यवाद दिया।

चार धाम यात्रा के मद्देनजर 4.531 किलोमीटर लंबी यह सुरंग काफी महत्वपूर्ण है। दो लेन की दो दिशा वाली इस सुरंग का निर्माण लगभग 853 करोड़ रुपये की लागत से किया जा रहा है।

धामी ने कहा कि सुरंग के पूरा होने पर गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के बीच की दूरी 26 किलोमीटर कम हो जाएगी और तीर्थयात्रियों के लिए चार धाम यात्रा अधिक सुविधाजनक हो जाएगी।

उन्होंने कहा, ‘‘सुरंग के एक छोर से दूसरे छोर तक पहुंचने में केवल पांच मिनट लगेंगे। इससे पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा होंगे।’’

राष्ट्रीय राजमार्ग और अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड (एनएचआईडीसीएल) के एमडी कृष्ण कुमार ने कहा कि सुरंग को पूरी तरह से चालू होने में लगभग 15-18 महीने और लगेंगे।

उन्होंने कहा कि 2023 के भूस्खलन के बाद 17 दिनों की कठिन परीक्षा से गुजरने वाले 41 श्रमिकों में से 15-16 अब भी सुरंग में काम कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि श्रमिकों को सुरक्षित निकालने से लेकर सुरंग का काम पूरा होने तक यह एक बेहद चुनौतीपूर्ण परियोजना थी।

निर्माणाधीन सुरंग का एक हिस्सा ढह जाने के बाद 12 नवंबर, 2023 को श्रमिक उसके अंदर फंस गए थे। उन्हें 28 नवंबर को सुरंग से सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया था।
 

भाषा
सिल्क्यारा (उत्तराखंड)


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