चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड भंग
लंबे समय से आंदोलनरत तीर्थ पुरोहितों की मांग को मानते हुए उत्तराखंड सरकार ने मंगलवार को विवादास्पद चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड को भंग कर दिया।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (File photo) |
अस्तित्व में आने के ठीक दो साल बाद देवस्थानम बोर्ड के भंग होने का जहां तीर्थ पुरोहितों और साधु संतों ने स्वागत किया।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ट्वीट किया,आप सभी की भावनाओं, तीर्थपुरोहितों, हक-हकूकधारियों के सम्मान एवं चारधाम से जुड़े सभी लोगों के हितों को ध्यान में रखते हुए मनोहर कांत ध्यानी जी की अध्यक्षता में गठित उच्च स्तरीय कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर सरकार ने देवस्थानम बोर्ड अधिनियम वापस लेने का फैसला किया है।
इससे पहले, ध्यानी समिति ने रविवार शाम को अपनी अंतिम रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंपी थी जिसका उन्होंने परीक्षण कर जल्द निर्णय लेने की बात कही थी।
चारों हिमालयी धामों-बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के तीर्थ पुरोहितों के देवस्थानम बोर्ड को भंग करने को लेकर लंबे समय से चल रहे आंदोलन के मद्देनजर धामी ने सत्ता संभालते ही भाजपा नेता ध्यानी की अध्यक्षता में समिति का गठन किया था।
बोर्ड के गठन को अपने पारंपरिक अधिकारों का हनन बताते हुए चारों धामों के तीर्थ पुरोहित इसे भंग करने की मांग को लेकर लंबे समय से आंदोलन चला रहे थे।
निकट आ रहे विधानसभा चुनावों को देखते हुए उन्होंने आंदोलन तेज करने की धमकी दी थी। धामी सरकार के इस निर्णय को इसी संदर्भ में देखा जा रहा है।
देवस्थानम अधिनियम पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के सरकार के कार्यकाल में दिसम्बर 2019 में पारित हुआ था जिसके तहत चारों धाम सहित प्रदेश के 51 मंदिरों के प्रबंधन के लिए जनवरी, 2020 में बोर्ड का गठन किया गया था।
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