उत्तराखंड में पहला महिला विश्वविद्यालय
मंगलवार को उत्तराखंड कैबिनेट की महत्वपूर्ण बैठक हुई. इसमें सरकार ने राज्य में तीन निजी विश्वविद्यालयों की स्थापना के लिये स्वीकृति प्रदान की.
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इन विश्वविद्यालयों में प्रदेश का पहला महिला विश्वविद्यालय वनस्थली विद्यापीठ भी शामिल है.
मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक की अध्यक्षता में लगभग एक महीने बाद हुई कैबिनेट की इस बैठक में डॉक्टरों को सुरक्षा प्रदान करने के लिये अधिनियम बनाये जाने पर भी सहमति दी गई.
देहरादून में हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक के बाद मुख्य सचिव सुभाष कुमार ने संवाददाताओं को बताया कि राज्य में वनस्थली विद्यापीठ विश्वविद्यालय, लिंग्या विश्वविद्यालय और एचटी ग्लोबल विश्वविद्यालय स्थापित करने के लिये राज्य सरकार ने अपनी स्वीकृति दे दी है.
उन्होंने बताया कि वनस्थली विद्यापीठ विश्वविद्यालय तथा लिंग्या विश्वविद्यालय को हरिद्वार में स्थापित किया जायेगा जबकि एचटी ग्लोबल विविद्यालय के तीन परिसर होंगे जिसमें एक गढ़वाल और एक कुमायूं क्षेत्र में तथा तीसरा देहरादून में होगा.
डॉक्टरों को सुरक्षा
उन्होंने बताया कि उत्तराखंड सरकार ने डॉक्टरों तथा उनके परिजनों और अन्य चिकित्साकर्मियों को सुरक्षा प्रदान करने के लिये अधिनियम बनाये जाने पर भी सहमति दी है
मुख्य सचिव कुमार ने बताया कि डॉक्टरों तथा चिकित्साकर्मियों की सुरक्षा के लिये बनाये जाने वाले अधिनियम का नाम ‘‘उत्तराखंड चिकित्सा सेवा व्यक्ति तथा संस्थान हिंसा निरोधक और संपत्ति क्षति अधिनियम’’ के नाम से जाना जायेगा. इस अधिनियम के तहत डॉक्टरों तथा अन्य चिकित्साकर्मियों पर हमले को गैर ज़मानतीय अपराध माना जायेगा.
उन्होंने कहा कि यह अधिनियम उन्हीं डॉक्टरों तथा संस्थानों के कर्मचारियों के लिये मान्य होगा जो क्लिनिकल प्रतिष्ठान अधिनियम के तहत पंजीकृत होंगे.
इसके अतिरिक्त सरकार ने ठेके पर आयुष विभाग में कार्य कर रहे डॉक्टरों की ठेका अवधि को एक वर्ष और बढाने पर अपनी स्वीकृति प्रदान की.
उन्होंने बताया कि सरकार ने पौड़ी जिले के कालिजीखाल पुल से लिये जाने वाले सड़क कर को अब खत्म कर दिया है. यह पुल कई वर्ष पूर्व 16 लाख रूपये की लागत से बना था.
भूमि रिकॉर्ड का आधुनिकीकरण
मुख्य सचिव ने बताया कि सरकार ने राज्य में केन्द्र पोषित राष्ट्रीय ग्रामीण भूमि रिकॉर्ड आधुनिकीकरण योजना को स्वीकृति प्रदान कर दी. इसके तहत 60 और 40 के अनुपात में केन्द्र से राशि मिलेगी.
उन्होंने बताया कि राज्य में 200 करोड़ रूपये की लागत से वर्ष 2012- 2017 के दौरान शुरू होने वाली इस योजना में राज्य सरकार 80 करोड़ रूपये खर्च करेगी जबकि केन्द्र सरकार 120 करोड़ रूपये प्रदान करेगी.
राज्य सरकार ने गढ़वाल मंडल विकास निगम पर 12.5 लाख रूपये ब्याज को भी माफ कर दिया. निगम ने इस सिलसिले में छह लाख रूपये का मूल धन पहले ही दे दिया था .
उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने आबकारी विभाग में चतुर्थ श्रेणी में 130 सिपाहियों की भर्ती करने पर भी अपनी स्वीकृति प्रदान कर दी .
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