लखनऊ : फाइलेरिया रोधी अभियान में कम्युनिटी रेडियो निभाएंगे अहम भूमिका
उत्तर प्रदेश से वर्ष 2027 तक फाइलेरिया उन्मूलन के लिए योगी सरकार प्रतिबद्ध है। इसके लिए तरह-तरह के प्रयास किए जा रहे हैं। इसी क्रम में 10 फरवरी से शुरू होने वाले मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एमडीए) अभियान को लेकर भी तैयारी तेज हो गई है।
फाइलेरिया रोधी अभियान |
जिलास्तरीय प्रशिक्षकों को प्रशिक्षित किया जा चुका है। इसके तहत गुरुवार को प्रदेश के 33 सामुदायिक रेडियो स्टेशन के प्रतिनिधियों को संवेदित किया गया। राज्य फाइलेरिया अधिकारी डॉ. एके चौधरी ने बताया कि एमडीए अभियान को शत-प्रतिशत सफल बनाने में सामुदायिक रेडियो अहम भूमिका निभा सकते हैं।
वर्चुअल संवेदीकरण कार्यशाला में डॉ. चौधरी ने बताया कि फाइलेरिया रोधी दवाएं स्वस्थ लोगों को ही खिलाई जाती हैं और साल में एक बार पांच साल तक खा लेने पर उस क्षेत्र में फाइलेरिया का प्रसार समाप्त हो जाता है। फाइलेरिया रोधी दवाएं अन्य बीमारियों में भी इस्तेमाल होती हैं इसलिए ये बिल्कुल सुरक्षित हैं। इनका किसी तरह का कोई भी साइड इफेक्ट नहीं है। अगर किसी व्यक्ति को दवा खाने से खुजली, चकत्ते जैसे साइड इफेक्ट होते हैं तो इसका अर्थ है कि उसके शरीर में फाइलेरिया के कीटाणु मौजूद थे, जिनके मरने के कारण इस तरह के असर होते हैं। प्रदेश के 33 सामुदायिक रेडियो स्टेशन में लखनऊ के बीबीडी, केजीएमयू गूंज एवं सीएमएस स्टेशन भी शामिल थे।
रेडियो प्रतिनिधियों को बताया गया कि राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत एमडीए अभियान 10 से 28 फरवरी तक लखनऊ, उन्नाव, बाराबंकी, अमेठी, बलिया, बरेली, चित्रकूट, हमीरपुर, जालौन, जौनपुर, पीलीभीत, शाहजहांपुर, प्रयागराज और सोनभद्र जनपदों में चलाया जाएगा। इन 14 जनपदों में से 12 में ट्रिपल ड्रग और बाराबंकी और शाहजहांपुर में डबल ड्रग का सेवन कराया जाएगा।
ट्रिपल ड्रग थेरेपी के तहत आइवरमेक्टिन, डाईइथाइल कार्बामजीन और एल्बेंडाजोल व डबल ड्रग थेरेपी के तहत डाईइथाइल कार्बामजीन और एल्बेंडाजोल दवा का सेवन कराया जाता है। इस बार अधिक से अधिक लोग फाइलेरिया रोधी दवा सेवन करें, इसके लिए आशा कार्यकर्ता के साथ एक पुरुष कार्यकर्ता को भी ड्रग एडमिनिस्ट्रेटर के तौर पर नियुक्त किए जाने का निर्णय लिया गया है, जिससे रात में भी घर पर जाकर लोगों को फाइलेरिया रोधी दवा का सेवन कराना सुनिश्चित किया जा सके।
डॉ. चौधरी ने बताया कि इन 14 जिलों के अलावा अन्य जिलों में फाइलेरिया से ग्रसित रोगियों को एमएमडीपी किट तथा प्रभावित अंग को सुरक्षित रखने के लिए प्रशिक्षण दिया जाता रहेगा। हाइड्रोसील के ऑपरेशन होते रहेंगे। साथ ही फाइलेरिया का प्रसार जांचने के लिए नाइट ब्लड सर्वे किया जाएगा। यह बात आप लोग ज्यादा से ज्यादा समुदाय में प्रसारित करें। इस अभियान में डब्ल्यूएचओ, जीएचएस, पाथ, पीसीआई, ‘स्मार्ट’ और सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च संस्थाएं सहयोग कर रही हैं।
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