बदायूं में जामा मस्जिद बनाम नीलकंठ महादेव मंदिर मामले में मंगलवार को फास्ट ट्रैक कोर्ट में मुस्लिम पक्ष की बहस पूरी नहीं। अब मामले में अगली सुनवाई दस दिसंबर को होगी।
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हिंदू महासभा के वकील विवेक रेंडर ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा कि केस सुनवाई योग्य है या नहीं, इसको लेकर कोर्ट में बहस चल रही है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि यदि कोई संपत्ति पुरातत्व विभाग की है उस पर विशेष उपासना स्थल अधिनियम, 1991 लागू नहीं होता है। जहां एक पक्ष हिंदू हो और दूसरा पक्ष मुस्लिम हो तब उस दिशा में वक्फ अधिनियम 1995 के प्रावधान लागू नहीं होते हैं।
उन्होंने आगे कहा कि मुस्लिम पक्ष अपनी बहस कर रहा है, इसके बाद हम अपना पक्ष रखेंगे। मुस्लिम पक्ष मंदिर के अस्तित्व को नकार रहा है, इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि अगर मंदिर का अस्तित्व नहीं है तो वो सर्वे कराने से क्यों डर रहे हैं?
इंतजामिया कमेटी के वकील अनवर आलम का कहना है कि ये मुकदमा सुनवाई योग्य नहीं है। जिसमें उन्होंने हमें पार्टी बनाया है उसमें लिखा है मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई, जिसका कोई अस्तित्व नहीं उसकी तरफ से कोई मुकदमा दायर नहीं कर सकता। सरकार के गजेटियर में लिखा है कि जामा मस्जिद धरोहर है। केवल बदायूं के कुछ खास मेंटालिटी के अधिकारियों ने साल 2004- 2005 में ऐसा लिख दिया था। दूसरा पक्ष कोई गजेटियर पेश नहीं कर रहा। केवल शहर का माहौल बिगाड़ने के लिए ऐसा किया गया है।
उन्होंने आगे कहा कि इस मुकदमे का कोई आधार नहीं है। क्योंकि वादी प्रत्यक्ष होना जरूरी है लेकिन इस मामले में वादी प्रत्यक्ष नहीं है। हिंदू महासभा को मुकदमा दायर करने का कोई अधिकार नहीं है। कोर्ट में हमने 40 मिनट बहस की और मामले में अगली सुनवाई 10 दिसंबर को होगी।
बता दें कि सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट के न्यायाधीश अमित कुमार के न्यायालय में बदायूं में जामा मस्जिद बनाम नीलकंठ महादेव मंदिर का मामला विचाराधीन हैं। वादी मुकेश पटेल ने साल 2022 में जामा मस्जिद में नीलकंठ महादेव मंदिर होने का दावा करते हुए याचिका दायर की थी, इस पर कोर्ट ने सुनवाई शुरू की है। पहले सरकार पक्ष की तरफ से बहस शुरू की गई थी, जो पूरी हो चुकी थी। अब वाद चलने लायक है या नहीं इस पर कोर्ट 10 दिसंबर को सुनवाई करेगा।
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