देवोत्थान एकादशी के मौके पर प्रदेश भर में मंगलवार को श्रद्धा का माहौल देखने को मिल रहा है। भगवान शिव की नगरी काशी में देवोत्थान एकादशी के मौके पर श्रद्धालुओं ने सुबह से ही स्नान कर भगवान भाष्कर को अर्घ्य दिया।
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श्रद्धालुओं ने पवित्र गंगा नदी में डुबकी लगाई। इस दौरान उन्होंने आईएएनएस से खास बातचीत की।
कार्तिक महीने में पड़ने वाली देवउठनी एकादशी पर गंगा स्नान और दान पुण्य की परम्परा रही है। इसी को निभाने के लिए आस्थावान गंगा तटों पर उमड़े।
धार्मिक मान्यता के अनुसार आज के दिन भगवान विष्णु चार महीने की नींद से जगते है और आज उनके शालिग्राम स्वरूप का विवाह माता तुलसी के साथ किया जाता है, जिसके बाद से सभी मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो जाती है।
पवित्र दिन पर वाराणसी और प्रयागराज में लोगों ने पवित्र गंगा में डुबकी लगाई।
वाराणसी में गंगा स्नान करने आई महिला श्रद्धालु इंदु पांडेय ने आईएएनएस को बताया कि आज हम लोग एकादशी व्रत हैं और गंगा नदी में स्नान करने आए हैं। आज के दिन शालिग्राम का विवाह होता है। हम लोग पूरे मास नहाते हैं और पूजा अर्चना करते हैं। भगवान का शादी-विवाह करेंगे और मंडप सजाएंगे।
पुरोहित हिरानंद पांडेय ने आईएएनएस को बताया कि 4 महीने तक सोने के बाद विष्णु भगवान आज के दिन उठते हैं। आज के दिन उनका माता तुलसी से विवाह संपन्न होगा। आज के बाद से सभी मंगल काम शुरू हो जाएंगे। इसमें मुंडन, विवाह, जनेऊ और गृह प्रवेश जैसे कार्यक्रम शामिल हैं। सारे शुभ कामों की शुरुआत आज से शुरू हो जाती है।
उन्होंने आगे बताया कि बहुत से लोग आज के दिन फलाहार करते हैं, कई लोग एक समय भोजन करते हैं, जबकि कई लोग निर्जला भी रहते हैं। आज के दिन गंगा स्नान करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है और परिवार में सुख-समृद्धि आती है।
प्रयागराज की एक महिला श्रद्धालु ने आईएएनएस को बताया कि एकादशी के दिन स्नान करके पूजा करते हैं। चार महीने बाद विष्णु भगवान सो कर उठते हैं। हमने तुलसी विवाह किया है और राधा-कृष्णा की शादी की है। श्रद्धा-भक्ति के साथ पूजा करने पर भगवान सारी मनोकामना पूरा करते हैं।
पुरोहित ने बताया कि आज के दिन से सारे मंगल कार्यों की शुरुआत हो जाएगी। लोगों के घरों में शादी-विवाह जैसे जो भी कार्यक्रम रुके थे, उसकी आज से शुरुआत हो सकती है। विष्णु भगवान नींद से जाग चुके हैं और शाम तक शालिग्राम और तुलसी विवाह का कार्यक्रम होगा।
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