UP में 27,764 प्राइमरी और जूनियर स्कूलों को बंद करने का फैसला वंचितों के खिलाफ : प्रियंका गांधी

Last Updated 04 Nov 2024 12:50:23 PM IST

कांग्रेस की वरिष्ठ नेता और वायनाड से उम्मीदवार प्रियंका गांधी ने यूपी में 27764 प्राइमरी और जूनियर स्कूलों के बंद होने की चर्चा को लेकर भाजपा पर निशाना साधा है।


प्रियंका गांधी

उन्होंने इस फैसले को शिक्षा क्षेत्र के साथ-साथ दलित, पिछड़े, गरीब और वंचित तबकों के बच्चों के खिलाफ बताया है।

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने सोमवार को सोशल मीडिया मंच एक्स में लिखा कि उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार ने 27,764 प्राइमरी और जूनियर स्कूलों को बंद करने का फैसला लिया है। यह कदम शिक्षा के साथ-साथ दलित, पिछड़े, गरीब और वंचित तबकों के बच्चों के खिलाफ है।

उन्होंने कहा कि यूपीए सरकार शिक्षा के अधिकार का कानून लाई थी, इसके तहत व्यवस्था की गई थी कि हर एक किलोमीटर की परिधि में एक प्राइमरी विद्यालय हो, ताकि हर तबके के बच्चों के लिए स्कूल सुलभ हो।

कल्याणकारी नीतियों और योजनाओं का मकसद मुनाफा कमाना नहीं, बल्कि जनता का कल्याण करना है। भाजपा नहीं चाहती कि कमजोर तबके के बच्चों के लिए शिक्षा सुलभ हो। इसके पहले इस मुद्दे पर बसपा प्रमुख मायावती भी सरकार को घेर चुकी हैं।

मायावती ने सोशल मीडिया प्‍लेटफार्म 'एक्‍स' पर लिखा कि 'यूपी सरकार द्वारा 50 से कम छात्रों वाले बदहाल 27,764 परिषदीय प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में जरूरी सुधार करके उन्हें बेहतर बनाने के उपाय करने के बजाय उनको बंद कर उनका दूसरे स्कूलों में विलय करने का फैसला उचित नहीं। ऐसे में गरीब बच्चे आखिर कहां और कैसे पढ़ेंगे?'

उन्होंने लिखा, 'यूपी व देश के अधिकतर राज्यों में खासकर प्राइमरी व सेकंडरी शिक्षा का बहुत ही बुरा हाल है, इसके कारण गरीब परिवार के करोड़ों बच्चे अच्छी शिक्षा तो दूर, सही शिक्षा से भी लगातार वंचित हैं। ओडिशा सरकार द्वारा कम छात्रों वाले स्कूलों को बंद करने का भी फैसला अनुचित है।'

बसपा प्रमुख मायावती ने लिखा-'सरकारों की इसी प्रकार की गरीब व जनविरोधी नीतियों का परिणाम है कि लोग अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाने को मजबूर हो रहे हैं, गरीबों के ह‍ित में स्‍कूलों को बंद करना ठीक नहीं है। ज्ञात हो कि उत्तर प्रदेश में 27,764 प्राथमिक और जूनियर विद्यालयों के विलय की चर्चा मीडिया में तेज है। हालांकि शिक्षा विभाग की तरफ से इस पर कोई अधिकारिक बयान नहीं आया है।

आईएएनएस
लखनऊ


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