69 हजार शिक्षक भर्ती में यूपी सरकार को झटका, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दिया आदेश, तीन माह में नई सूची बनाएं
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने 69 हजार सहायक अध्यापक भर्ती प्रक्रिया में आरक्षण कोटे का सही से अनुपालन न किए जाने के मामले में 13 मार्च 2023 को दिए गए एकल पीठ के फैसले को चुनौती देने वाली 90 अपीलों पर एक साथ फैसला देते हुए राज्य सरकार को कई निर्देश देकर अपीलों को निस्तारित कर दिया है।
69 हजार शिक्षक भर्ती में यूपी सरकार को झटका, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दिया आदेश, तीन माह में नई सूची बनाएं |
हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को कहा कि एक जून 2020 और पांच जनवरी 2022 की चयन सूचियों को दरकिनार कर 2019 में हुई सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा के आधार पर नियमों के तहत 69 हजार अभ्यर्थियों की नई चयन सूची तीन माह में बनाए। इस फैसले से पहले चयनित हुए सहायक प्राथमिक शिक्षकों की सेवा पर संकट दिखाई दे रहा है।
कोर्ट ने कहा इस चयन सूची में 1981 के नियम के तहत आरक्षण अधिनियम 1994 के मुताबिक आरक्षण नीति का पालन किया जाए। अगर आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी की मेरिट सामान्य श्रेणी के बराबर आए तो वह सामान्य श्रेणी में आ जाएगा। इन निर्देशों के तहत ऊपरी क्रम में आरक्षण दिया जाएगा। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि तैनाती को नई चयन सूची तैयार करने में अगर कोई कार्यरत अभ्यर्थी (शिक्षक) प्रभावित हो तो राज्य सरकार या सक्षम प्राधिकारी उसे सत्रांत का लाभ प्रदान करेंगे। जिससे इसका खामियाजा विद्यार्थियों को न भुगतना पड़े। कोर्ट ने इन निर्देशों के अनुसार एकल पीठ के आदेश व निर्देशों को संशोधित कर दिया। इस मामले में 69 हजार प्राथमिक सहायक शिक्षकों की भर्ती में आरक्षण के विवाद के मुद्दे उठाए गए थे। यह अहम फैसला न्यायमूर्ति ए आर मसूदी और न्यायमूर्ति बृजराज सिंह की खंडपीठ ने अशोक यादव व अन्य अभार्थियों की 90 विशेष अपीलों पर दिया है।
मामले में परिषदीय विद्यालयों के 69 हजार शिक्षक भर्ती परीक्षा में आरक्षण विसंगति पाए जाने पर हाईकोर्ट ने 13 मार्च 2023 को 6800 अभ्यर्थियों की सूची रद्द करते हुए पूरी लिस्ट को फिर से देखने (रिविजिट करने) का आदेश राज्य सरकार को दिया था, इसके खिलाफ 19000 सीटों पर विवाद को लेकर कुछ अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट की दो न्यायाधीशों के खंडपीठ में विशेष अपील दाखिल की थी। मामले में पहले एकल पीठ ने चयन सूची को भी खारिज कर दिया था। इस चयन सूची को यह कहते हुए चुनौती दी गई थी कि इसे बिना किसी विज्ञापन के जारी किया गया था। याचियों की तरफ से अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया था कि 69000 सहायक शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में आरक्षण नियमावली का सही से पालन नहीं किया गया। इस कारण आरक्षित वर्ग में चयनित 18,988 अभ्यर्थियों को जारी कटऑफ में 65 परसेंट से ज्यादा अंक प्राप्त करने के बावजूद सामान्य श्रेणी की सूची में शामिल नहीं किया गया। इनकी नियुक्ति प्रक्रिया को आरक्षित श्रेणी में ही पूरा कर दिया गया, जो आरक्षण नियमावली का उल्लंघन था। इससे आरक्षित श्रेणी के अन्य अभ्यर्थियों का चयन नहीं हो सका।
इसी को लेकर कई अभ्यर्थियों ने उच्च न्यायालय में अलग अलग याचिकाएं दाखिल की थी। इनमें से कुछ याचिकाओं में चयन सूची को इस आधार पर चुनौती दी गई थी कि आरक्षित श्रेणी के उन अभ्यर्थियों को भी आरक्षित श्रेणी में ही जगह दी गई है जिन्होंने अनारक्षित वर्ग के लिए तय कट ऑफ मार्क्स प्राप्त किए हैं। जबकि, अनारक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों की ओर से दाखिल याचिकाओं में कहा गया था कि आरक्षित वर्ग के उन अभ्यर्थियों को गलत तरीके से अनारक्षित वर्ग में रखा गया, जिन्होंने टीईटी व सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा में आरक्षण का लाभ ले लिया था। इन याचिकाओं में एक बार आरक्षण का लाभ लेने के बाद अनारक्षित वर्ग में अभ्यर्थियों का चयन किए जाने को विधि विद्ध बताया गया था, जबकि दो याचिकाओं में आरक्षित वर्ग के 6800 अभ्यर्थियों की 5 जनवरी 2022 की चयन सूची को चुनौती दी गई थी।
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