Mukhtar Ansari : जानें मुख्तार अंसारी का प्रतिष्ठित परिवार से अपराध की दुनिया तक का सफर

Last Updated 29 Mar 2024 07:02:40 AM IST

मुख्तार अंसारी एक प्रतिष्ठित परिवार की पृष्ठभूमि से थे, मगर बाद में उन्‍होंने इसके विपरीत अपनी छवि बना ली। गैंगस्टर से नेता बने 60 वर्षीय मुख्तार अंसारी की गुरुवार की शाम दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई।


Mukhtar Ansari

वह मुख्तार अहमद अंसारी के पोते थे, जो स्वतंत्रता आंदोलन के एक प्रमुख व्यक्ति थे और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे।

30 जून, 1963 को उत्तर प्रदेश के यूसुफपुर में जन्मे मुख्तार अंसारी ने अपराध की गलियों से लेकर सत्ता के गलियारों तक का सफर किया।

अंसारी ने 1980 के दशक में अपराध की दुनिया में कदम रखा। 1990 के दशक में संगठित अपराध में उनकी भागीदारी बढ़ गई, खासकर मऊ, गाजीपुर, वाराणसी और जौनपुर जिलों में।

वह कोयला खनन, रेलवे निर्माण और अन्य क्षेत्रों में फैले ठेकेदारी के धंधे को लेकर ज्यादातर ब्रिजेश सिंह के साथ भयंकर प्रतिद्वंद्विता में उलझकर अंडरवर्ल्ड में एक उल्लेखनीय व्यक्ति बन गए।

साल 2002 में उनके काफिले पर घात लगाकर हमला किया गया था, जिसमें उनके तीन मददगार मारे गए थे।

अंसारी बाद में राजनीति में आए और 1996 से मऊ से लगातार पांच बार विधानसभा चुनाव जीतने में कामयाब रहे।

कुछ लोगों ने अंसारी में रॉबिन हुड की छवि देखी, तो अन्य ने उन्‍हें आपराधिक गतिविधियों में लगे रहने वाले के रूप में देखा।

अपने राजनीतिक कार्यकाल के दौरान वह बहुजन समाज पार्टी के साथ जुड़े रहे। उन्हें 'गरीबों के मसीहा' के रूप में चित्रित किया गया था और बाद में बसपा छोड़कर उन्होंने अपने भाइयों के साथ कौमी एकता दल का गठन किया।

अंसारी का जीवन कानूनी परेशानियों से भरा रहा। साल 2005 में जेल में बंद होने के बाद से उन्हें 60 से ज्‍यादा मामलों में आरोपों का सामना करना पड़ा।

उनके आपराधिक रिकॉर्ड में हत्या, अपहरण और जबरन वसूली के आरोप शामिल थे।

अप्रैल 2023 में उन्हें भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या के लिए दोषी ठहराया गया और 10 साल कैद की सजा सुनाई गई। मार्च 2024 में उन्हें फर्जी हथियार लाइसेंस रखने के मामले में उम्रकैद की सजा मिली।

आईएएनएस
लखनऊ


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