साइबर अपराधियों ने हैक किया अस्पताल का सर्वर, जारी किए कई फर्जी जन्म, मृत्यु प्रमाण पत्र

Last Updated 22 Aug 2021 04:42:28 PM IST

लखनऊ में एक बार फिर साइबर अपराधियों ने दस्तक दे दी है। इस बार उन्होंने बलरामपुर अस्पताल के कंप्यूटर नेटवर्क को हैक कर पिछले एक महीने में फर्जी तरीके से दर्जनों फर्जी जन्म-मृत्यु प्रमाण-पत्र बनवाकर अलग-अलग लोगों को जारी किया हैं।


साइबर अपराधियों ने हैक किया अस्पताल का सर्वर

अस्पताल प्रशासन ने शनिवार को वजीरगंज थाने में अज्ञात हैकरों के खिलाफ आईटी एक्ट 2008 के तहत प्राथमिकी दर्ज की है।

दिलचस्प बात यह है कि अस्पताल में स्त्री रोग और प्रसूति विभाग नहीं है और इसलिए, यहां एक भी जन्म नहीं हुआ।

हालांकि, अस्पताल के अधिकारियों ने पाया कि कम से कम 41 जन्म प्रमाण पत्र जारी किए गए हैं।

अधिकारियों का मानना है कि यह सिर्फ फर्जीवाड़े का एक सिरा हो सकता है। यह पता लगाने के लिए एक ऑडिट की जा रही है कि क्या जन्म या मृत्यु से संबंधित अधिक नकली प्रमाण पत्र और कोई अन्य चिकित्सा दस्तावेज भी अस्पताल प्रणाली के माध्यम से बने हुए थे।



पुलिस को संदेह है कि यह एक अखिल भारतीय रैकेट का हिस्सा हो सकता है जो देश भर में अस्पताल के पोर्टलों को हैक कर रहा है और नकली मृत्यु और जन्म प्रमाण पत्र ऑनलाइन बना रहा है और उन्हें लोगों को बेच रहा है।

प्रमाण पत्र जारी करने के प्रभारी अधिकारी डॉ एम.पी. सिंह ने कहा, अस्पताल नागरिक पंजीकरण प्रणाली (सीआरएस) द्वारा संचालित पोर्टलों के केंद्रीकृत नेटवर्क से जुड़ा है, जो मुख्य रजिस्ट्रार (जन्म और मृत्यु), नई दिल्ली के अधीन काम करता है और आबादी का रिकॉर्ड रखता है।

डॉ सिंह ने कहा, हमारे पास एक अलग यूजर आईडी और पासवर्ड है। पिछले एक महीने में, हमने मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने के लिए सिस्टम तक पहुंचने में गड़बड़ी का अनुभव किया। इसने हमें समय-समय पर पहुंच से वंचित कर दिया। जब हमने मुख्य रजिस्ट्रार के पास शिकायत दर्ज कराई तो इसने हमें बताया कि अस्पताल के यूजर आईडी और पासवर्ड का उपयोग करके कुछ 'संदिग्ध गतिविधियों' को अंजाम दिया जा रहा है।

उन्होंने कहा, 16 अगस्त को, जब पोर्टल ने हमें फिर से पहुंच से वंचित कर दिया, तो हमने स्वास्थ्य निदेशालय के कंप्यूटर विशेषज्ञों से संपर्क किया और एक जांच की, जिससे पता चला कि सिस्टम हैक हो गया है।

वहीं एक ऑडिट में पाया गया कि अस्पताल के उपयोगकर्ता आईडी के माध्यम से एक महीने की अवधि में 41 फर्जी जन्म प्रमाण पत्र तैयार किए गए है, इस तथ्य के बावजूद कि अस्पताल डिलीवरी के मामलों को नहीं लेता है।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ मनोज अग्रवाल ने कहा, हमने अन्य अस्पतालों से कहा है कि अगर वे भी इसी तरह की समस्याओं का सामना कर रहे हैं, तो रिपोर्ट करें।

वर्तमान में, शहर में नौ जिला सरकारी अस्पताल और तीन सरकारी सहायता प्राप्त चिकित्सा शिक्षण संस्थान सीआरएस पोर्टल से जुड़े हुए हैं और उन्हें जन्म या मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने की अनुमति है।

वहीं, सहायक पुलिस आयुक्त चौक आई.पी. सिंह ने कहा, हमने मामला दर्ज कर लिया गया है। हैकिंग के अपराधियों का पता लगाने के लिए जांच की जा रही है।

आईएएनएस
लखनऊ


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