यही हालात रहे, तो देश फिर गुलाम हो जाएगा : कषि कानूनों पर अखिलेश यादव ने कहा

Last Updated 23 Mar 2021 05:28:18 PM IST

केन्द्र के नए कृषि कानूनों से सिर्फ कॉरपोरेट्स का भला होने का आरोप दोहराते हुए सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मंगलवार को कहा कि ‘अगर ऐसे ही हालात रहे तो देश फिर से गुलाम हो जाएगा।’


सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव (file photo)

मवाना में समाजवादी पार्टी (सपा) द्वारा आयोजित जनसभा को संबोधित करते हुए यादव ने देश में व्यापार करने आयी ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी का संदर्भ देते हुए कहा, ‘‘जिन्होंने इतिहास पढा होगा वे जानते होंगे कि व्यापार करने वाली एक कंपनी कैसे सरकार बन गई। एक कानून पास हुआ और कंपनी कानून बन गई।’’
उन्होंने ब्रिटिश कंपनी/शासन के दौरान किसानों पर अत्याचार के खिलाफ हुए आंदोलनों का हवाला देते हुए किसानों से कहा कि ‘‘जो लड़ाई उस समय लड़ी गई थी। उसकी आज भी जरूरत है।’’
सपा अध्यक्ष ने कहा कि देश के लिए शहीद हुए ज्यादातर क्रांतिकारी मजदूर या किसान के बेटे थे। उन्होंने कहा, ‘‘ये तीनों कृषि कानून देश के किसानों को बर्बाद कर देंगे।’’
लोकसभा सीटों की संख्या के आधार पर उत्तर प्रदेश के सबसे महत्वपूर्ण होने के संदर्भ में उन्होंने कहा, ‘‘बताया जाता है कि जो हस्तिनापुर से जीत जाता है, उसी की सरकार बनती है।’’ लोगों से उत्तर प्रदेश में सपा को जीत दिलाने की अपील करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘अगर भाजपा ने उत्तर प्रदेश खो दिया तो वह दिल्ली भी खो देगी।’’

किसान आंदोलन का विरोध करने वालों को असामाजिक बताते हुए यादव ने भाजपा पर निशाना साधा और कहा, ‘‘किसानों को धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिल पाया।
गन्ने का भुगतान नहीं हुआ। आज भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसान गन्ना भुगतान का इंतजार कर रहे हैं।’’
उप्र में भाजपा शासन के चार साल पूरे होने पर सरकार द्वारा किए जा रहे विभिन्न आयोजनों पर कटाक्ष करते हुए सपा प्रमुख ने कहा, ‘‘चार साल से जश्न मना रही है सरकार बताओ, किसान क्यों परेशान है। सपा ने जितनी गन्ने की जितनी कीमत बढाई थी उतनी आप क्यों नहीं बढा पाए।’’
भाजपा सरकार द्वारा लिए गए फैसलों को गलत बताते हुए उन्होंने कहा, ‘‘देश के बैंक डूबने लगे हैं, नौजवानों के पास काम नहीं है, ऐसे में देश को विश्वगुरु बनाने का सपना दिखाने वाले लोग ही बताएं कि देश कैसे विगुरु बनेगा।’’
इस मौके पर यादव ने शहीद धन सिंह कोतवाल की प्रतिमा का भी अनावरण किया।

भाषा
मेरठ (उत्तर प्रदेश)


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