उप्र पुलिस भर्ती घोटाला : वापस ली याचिका 22 हजार को राहत
यूपी के चर्चित पुलिस भर्ती घोटाले में मायावती सरकार के दौरान सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई याचिका को मौजूदा सरकार ने वापस ले लिया है.
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उत्तर प्रदेश के चर्चित पुलिस भर्ती घोटाले में मायावती सरकार के दौरान सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई याचिका को समाजवादी पार्टी की मौजूदा सरकार ने वापस ले लिया है.
मुलायम सिंह यादव सरकार के दौरान पुलिसकर्मियों की भर्ती को बसपा सरकार ने रद्द कर दिया था, लेकिन इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मायावती सरकार का आदेश निरस्त कर दिया था. हाईकोर्ट के आदेश को पूर्ववर्ती बसपा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.
जस्टिस जीएस सिंघवी की अध्यक्षता वाली बेंच के समक्ष चेंबर सुनवाई में राज्य सरकार की ओर से पेश हुए अधिवक्ता ने पिछली सरकार में हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर की गई अपील को वापस लेने की गुजारिश की.
बेंच ने प्रदेश सरकार के इस आग्रह को स्वीकार कर लिया. सुप्रीम कोर्ट द्वारा राज्य सरकार के आग्रह को मंजूर करने से 2004 से 2006 के दौरान सपा सरकार द्वारा पुलिस में भर्ती 22 हजार 716 लोगों को भारी राहत मिलेगी.
इनमें सिपाही तथा अन्य सहायक पदों पर भर्तियां की गई थीं, लेकिन 2007 में माया सरकार के सत्ता में आते ही इन भर्तियों को अनियमितताओं के आधार पर निरस्त कर दिया गया. तत्कालीन सरकार ने इन भर्तियों को डीजीपी शैलजाकांत मिश्र की अध्यक्षता वाली कमेटी की रिपोर्ट पर रद्द किया था.
बर्खास्त पुलिसकर्मियों की ओर से दाखिल याचिका पर दिसम्बर 2008 में हाईकोर्ट की एकल पीठ ने राज्य सरकार के बर्खास्तगी के आदेश को निरस्त कर दिया. एकल पीठ के आदेश को बसपा सरकार ने हाईकोर्ट की खंडपीठ में चुनौती दी थी. खंडपीठ ने राज्य सरकार को सही व गलत नियुक्तियों को चिन्हित करने की छूट प्रदान करते हुए एकल पीठ के आदेश को जारी रखा था.
सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली बसपा की ओर से 2009 में दायर की गई याचिका पर नोटिस भी जारी किया था, लेकिन मामले का निपटारा होने से पहले ही प्रदेश में सपा की सरकार बन गई और उसने इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका को वापस ले लिया.
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