ट्रेन हादसा: मृतकों की संख्या 68 हुई
उत्तर प्रदेश के मालवा में हुये ट्रेन हादसे में मरने वालों की संख्या बढ़कर 68 हो गई है, जबकि 250 से ज्यादा लोग गंभीर रूप से घायल हैं.
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हावड़ा से दिल्ली जा रही कालका मेल के डिब्बे पटरी से उतरने से रविवार को हुए हादसे में मृतकों की संख्या लगातार बढ़ रही है. बचाव और राहत का काम सेना ने संभाल रखा है. इस काम में 200 से अधिक जवान और सेना के पांच हेलीकाप्टर लगे हुए हैं.बचावकर्ताओं को मलबे से स्वीडन के दो नागरिकों समेत 30 और लोगों के शव बरामद हुए हैं.
दुर्घटना में 259 लोग घायल हैं, जिन्हें फतेहपुर और कानपुर के विभिन्न अस्पतालों में भर्ती कराया गया है.
फतेहपुर पुलिस अधीक्षक राम भरोसे ने बताया, ‘अब तक 68 लोगों के शव बरामद हो चुके हैं. 259 लोगों का अस्पताल में उपचार चल रहा है.’ मृतकों में 14 महिलाएं भी शामिल हैं.
उन्होंने बताया कि गंभीर रूप से घायल लोगों को कानपुर भेजा गया है.
राम भरोसे ने बताया कि हादसे में मारे गए स्वीडिश नागरिक की पहचान उसके घायल साथी ऑस्कर के बयान के आधार पर विक के तौर पर हुई है. दोनों एक साथ यात्रा कर रहे थे.
पुलिस अधीक्षक ने ऑस्कर के हवाले से बताया कि स्वीडन का एक और यात्री था जिसके लापता होने की खबर है.
रामभरोसे ने बताया कि राहत, बचाव कार्य और पटरियों को खाली कराने का जिम्मा सेना ने संभाल रखा है और यह अभियान पूरा होने में 48 घंटे का समय और लग सकता है.
घटना के मुताबिक कालका मेल हावड़ा से रविवार दोपहर लगभग 12 बज कर 20 मिनट पर मालवा स्टेशन के समीप पहुंची ही थी कि उसके डिब्बे पटरी से उतर गये. ट्रेन की गति 108 किमी प्रति घंटा थी. मालवा स्टेशन लखनऊ से करीब 120 किमी दूर है.
क्षतिग्रस्त वातानुकूलित डिब्बे और अन्य डिब्बों में फंसे यात्रियों और शवों को बाहर निकालने के लिए बचाव अभियान रात भर चला.
रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष विनय मित्तल ने बताया कि मंगलवार सुबह तक हावड़ा-दिल्ली मार्ग साफ होने की उम्मीद है. उन्होंने बताया कि लखनऊ के रेलवे सुरक्षा मुख्य आयुक्त प्रशान्त कुमार ने हादसे की जांच के आदेश दे दिए हैं.
मित्तल ने बताया कि पटरियों में किसी तरह की गड़बड़ी नहीं थी और केबिनमैन ने उन्हें बताया कि जब ट्रेन स्तंभ संख्या 927-23 के समीप पहुंची, तो उसका इंजन हिलने लगा और तेज धुआं निकलने लगा. इसके कुछ ही पलों के बाद हादसा हुआ.
मित्तल ने बताया कि प्राथमिक जांच के अनुसार, सिग्नल सामान्य रूप से काम कर रहे थे और पटरियों पर लगी फिश प्लेटें भी यथावत थीं.
कुछ बोगियां कम क्षतिग्रस्त हुई हैं जबकि कुछ बोगियां तो धातु के ढेर में तब्दील हो गई हैं. वातानुकूलित और अन्य डिब्बों में फंसे यात्रियों को बाहर निकालने के लिए गैस कटर और अन्य उपकरणों की मदद से धातु को काटा गया.
मालूम हो कि सात जुलाई को लखनऊ से करीब 250 किमी दूर कांशीराम नगर में मथुरा-छपरा एक्सप्रेस से अधरपुर मानव रहित रेलवे क्रॉसिंग पर बारात ले कर जा रही एक बस टकरा गई थी, जिससे बस के 38 यात्रियों की मौत हो गई थी.
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