कांग्रेस नेता अशोक गहलोत ने हाल ही में के ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ नारे पर भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा था कि ऐसी भाषा बोल कर जनता को डराया जा रहा है। इस पर जोधपुर में एक कार्यक्रम में शामिल होने आए भारतीय जनता पार्टी नेता सतीश पूनिया ने प्रतिक्रिया दी है।
|
उन्होंने कहा, “ऐसा कुछ नहीं है। अशोक गहलोत की सरकार में हुई घटनाओं के खिलाफ भाजपा ने जमकर आलोचना की थी, जिसके बाद वे सत्ता से बाहर हुए। अगर वे अब सवाल उठाते हैं, तो उन्हें अपने गिरेबान में झांककर देखना चाहिए कि उनके शासनकाल में पिछले पांच सालों में कानून व्यवस्था कितनी खराब हुई थी। उन्होंने जो विरासत छोड़ी, उसमें पुलिसिंग को कमजोर किया, और इसलिए राजस्थान में जो हालात बने थे, पिछले पांच साल में भाजपा सरकार ने उसे सुधारने का काम किया है।”
उन्होंने आगे कहा, “लोकतंत्र में चुनाव लड़ा जाता है, वोट किसी को भी दिया जाता है, लेकिन हमारे संविधान के तहत हमें जो आजादी मिली है, उसका पालन मर्यादा के साथ करना चाहिए। हिंसा का लोकतंत्र में कोई स्थान नहीं होना चाहिए। समाज में गरिमा और मर्यादा बनी रहे, यही हमारा उद्देश्य होना चाहिए। लोकतंत्र में राजनेता, प्रशासनिक अधिकारी, और आम नागरिक सभी का योगदान अहम है, और जब ये मिलकर काम करते हैं, तो उसका फायदा किसी भी प्रदेश और देश को होता है। इसलिए, दोनों के बीच संबंधों का भी सही होना जरूरी है, ताकि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। मुझे लगता है, सभी राजनीतिक दलों के लिए यह एक सबक है।”
बता दें कि कांग्रेस नेता अशोक गहलोत ने हाल ही में के ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ और ‘एक हैं तो सेफ हैं’ के नारे पर भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा था कि यह कैसी भाषा है? देशवासी क्या सोच रहे होंगे? सीधे-सीधे जनता को डराया जा रहा है। लोकतंत्र में चुनाव मुद्दों पर लड़ा जाता है।
| | |
|