Pahalgam attack: जम्मू विधानसभा के विशेष सत्र में पहलगाम हमले में मारे गए लोगों को दी श्रद्धांजलि

Last Updated 28 Apr 2025 11:20:19 AM IST

जम्मू कश्मीर विधानसभा ने पहलगाम में आतंकवादी हमले में मारे गए 26 लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिए सोमवार को कुछ पल का मौन रखा।


जैसे ही सदन का विशेष सत्र शुरू हुआ, विधानसभा अध्यक्ष अब्दुल रहीम राठेर ने पहलगाम में देश के विभिन्न हिस्सों से आए निर्दोष पर्यटकों की आतंकी हमले में हत्या किए जाने की निंदा की।

उन्होंने कहा, ‘‘हम मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि देते हैं और उन परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हैं जिन्होंने अपने प्रियजनों को खो दिया है।’’



विधानसभा अध्यक्ष ने घोषणा की कि सदन इस नृशंस हमले में मारे गए लोगों के सम्मान में कुछ पल का मौन रखेगा।

उपमुख्यमंत्री सुरिंदर चौधरी ने सरकार की ओर से एक प्रस्ताव पेश किया, जिसमें पर्यटकों पर हुए बर्बर और अमानवीय हमले को लेकर गहरा सदमा और दुख व्यक्त किया गया।


पहलगाम आतंकी हमले को लेकर कांग्रेस के विधायक गुलाम अहमद मीर ने कहा, "इस हमले के बाद पूरा देश एकजुट है और इस हमले की निंदा कर रहा है। जम्मू-कश्मीर के लोग भी इस हमले की निंदा करने के लिए बड़ी संख्या में सामने आए हैं। आज सदन में भी यही आवाज गूंजेगी कि जम्मू-कश्मीर को आतंकवादियों द्वारा बनाए गए एजेंडे को हराना होगा और उसमें पहला कदम यहां भाईचारा स्थापित करना है।"

पहलगाम आतंकी हमले के बारे में बात करते हुए स्वास्थ्य मंत्री डॉ. सकीना इटू ने कहा, "दुख व्यक्त करने के लिए कोई भी शब्द पर्याप्त नहीं है, क्योंकि ऐसी घटनाएं पूरी मानवता को कलंकित करती हैं। ऐसी घटनाएं बहुत गलत हैं और कभी नहीं होनी चाहिए।"

बता दें, उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 की धारा 18(1) के तहत अपनी शक्तियों का उपयोग करते हुए यह आदेश जारी किया था।

उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने आदेश में कहा, "मैं मनोज सिन्हा, केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर का उपराज्यपाल, जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 की धारा 18(1) के तहत मुझे प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए जम्मू में 28 अप्रैल सोमवार सुबह 10:30 बजे जम्मू-कश्मीर विधानसभा की बैठक आहूत करता हूं।"

पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की जान चली गई थी, जिसके बाद देशभर में आक्रोश की लहर दौड़ गई। जनता ने पाकिस्तान के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग की है। इस हमले के जवाब में भारत सरकार ने कई बड़े कदम उठाए हैं। सरकार ने सिंधु जल समझौते को निलंबित कर दिया है, जो दोनों देशों के बीच जल संसाधनों के बंटवारे का महत्वपूर्ण समझौता था। इसके अलावा, भारत ने शॉर्ट टर्म वीजा पर आए पाकिस्तानी नागरिकों को 27 अप्रैल तक देश छोड़ने का आदेश दिया था।

साथ ही, अटारी सीमा के रास्ते होने वाले व्यापार को भी रोक दिया गया है। पाकिस्तान के उच्चायोग में कर्मचारियों की संख्या को भी सीमित करने का फैसला लिया गया। पाकिस्तानी नागरिकों के लिए भारत छोड़ने की समय सीमा रविवार को समाप्त हो गई। इस आदेश के बाद देश के विभिन्न हिस्सों में रह रहे पाकिस्तानी नागरिकों का अपने देश लौटने का सिलसिला जारी है। आंकड़ों के अनुसार, अमृतसर के अटारी बॉर्डर के रास्ते अब तक 537 पाकिस्तानी नागरिक अपने वतन लौट चुके हैं। दूसरी ओर, पाकिस्तान में रह रहे 1387 भारतीय नागरिक भी भारत वापस आ चुके हैं।

पहलगाम हमले ने भारत-पाकिस्तान संबंधों को और तनावपूर्ण बना दिया है। केंद्र सरकार ने इस हमले को आतंकवाद के खिलाफ अपनी जीरो-टॉलरेंस नीति के तहत गंभीरता से लिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि विधानसभा का यह विशेष सत्र न केवल हमले के बाद की स्थिति पर चर्चा करेगा, बल्कि क्षेत्र में शांति और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए दीर्घकालिक रणनीतियों पर भी विचार-विमर्श करेगा।

उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने विधानसभा सत्र के दौरान सभी दलों से रचनात्मक सहयोग की अपील की है। उन्होंने कहा कि यह समय एकजुट होकर आतंकवाद के खिलाफ ठोस कदम उठाने का है। सत्र में आतंकी हमले के पीड़ितों को श्रद्धांजलि देने के साथ-साथ क्षेत्रीय सुरक्षा को मजबूत करने के उपायों पर भी चर्चा होने की संभावना है।

 

 

भाषा/आईएएनएस
जम्मू


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