विधेयकों को रोककर रखने पर तमिलनाडु के राज्यपाल से सुप्रीम कोर्ट ने जताई नाखुशी, CM स्टालिन बोले...

Last Updated 08 Apr 2025 01:06:28 PM IST

उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को तमिलनाडु के राज्यपाल आर एन रवि को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि उनके द्वारा 10 विधेयकों को राष्ट्रपति के विचारार्थ रोककर रखना संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन होने के साथ ही गैरकानूनी और मनमाना भी है।


तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने राज्यपाल आर एन रवि द्वारा राज्य विधानसभा में पारित विधेयकों पर स्वीकृति रोककर रखने के मुद्दे पर मंगलवार को उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत किया और इसे ‘ऐतिहासिक’ तथा देश में सभी राज्य सरकारों की जीत बताया।

उच्चतम न्यायालय के आदेश के तुरंत बाद स्टालिन ने विधानसभा में कहा कि शीर्ष अदालत ने फैसला सुनाया कि विधेयकों को अब राज्यपाल की स्वीकृति प्राप्त माना जा रहा है।

इससे पहले न्यायालय ने रवि से अप्रसन्नता जताते हुए कहा था कि राष्ट्रपति के विचारार्थ 10 विधेयकों को सुरक्षित रखना संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन है।

न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर महादेवन की पीठ ने कहा, ‘‘10 विधेयकों को राष्ट्रपति के विचारार्थ सुरक्षित रखने का राज्यपाल का कदम गैरकानूनी और मनमाना है तथा इसलिए इसे खारिज किया जाता है।’’

पीठ ने कहा, ‘‘10 विधेयकों को उस तारीख से स्वीकृत माना जाएगा जिस दिन इन्हें राज्यपाल के समक्ष पुन: प्रस्तुत किया गया था।’’


शीर्ष अदालत ने कहा कि राज्यपाल को सावधानी बरतनी चाहिए कि राज्य विधानसभा के सामने अवरोध पैदा करके जनता की इच्छा का दमन नहीं हो।

पीठ ने कहा, ‘‘राज्य विधानसभा के सदस्य लोकतांत्रिक प्रक्रिया के अनुरूप राज्य की जनता द्वारा चुने जाने के नाते राज्य की जनता की भलाई सुनिश्चित करने के लिए बेहतर तरीके से तैयार हैं।’’

अदालत ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 200 के तहत राज्यपाल के पास कोई विवेकाधिकार नहीं होता और उन्हें मंत्रिपरिषद की सहायता एवं सलाह पर अनिवार्य रूप से कार्रवाई करनी होती है।

संविधान का अनुच्छेद 200 विधेयकों को स्वीकृति से संबंधित है।

पीठ ने कहा कि राज्यपाल सहमति को रोक नहीं सकते और ‘पूर्ण वीटो’ या ‘आंशिक वीटो’ (पॉकेट वीटो) की अवधारणा नहीं अपना सकते।

उसने कहा कि राज्यपाल एक ही रास्ता अपनाने के लिए बाध्य होते हैं- विधेयकों को स्वीकृति देना, स्वीकृति रोकना और राष्ट्रपति के विचार के लिए सुरक्षित रखना।

पीठ ने कहा कि वह विधेयक को दूसरी बार राज्यपाल के समक्ष प्रस्तुत किए जाने के बाद उसे राष्ट्रपति के विचारार्थ सुरक्षित रखे जाने के पक्ष में नहीं है।

उसने कहा कि राज्यपाल को दूसरे दौर में उनके समक्ष प्रस्तुत किए गए विधेयकों को मंजूरी देनी चाहिए, अपवाद केवल तब रहेगा जब दूसरे चरण में भेजा गया विधेयक पहले से अलग है।

उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्टालिन ने किया स्वागत

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने राज्यपाल आर एन रवि द्वारा राज्य विधानसभा में पारित विधेयकों पर स्वीकृति रोककर रखने के मुद्दे पर मंगलवार को उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत किया और इसे ‘ऐतिहासिक’ तथा देश में सभी राज्य सरकारों की जीत बताया।

मुख्यमंत्री ने सदन को बताया कि विधानसभा द्वारा पारित किए जाने के बाद राज्यपाल के पास भेजे गए कई विधेयकों को उन्होंने लौटा दिया था। उन्हें फिर से पारित किया गया और फिर से उनके पास भेजा गया। स्टालिन ने कहा, ‘‘संविधान के अनुसार राज्यपाल को दूसरी बार पारित विधेयक को स्वीकृति देना अनिवार्य है, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया...वह देरी भी कर रहे थे..।’’

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इसके खिलाफ उच्चतम न्यायालय गई।

उच्चतम न्यायालय ने राज्य सरकार के तर्कों को स्वीकार किया और ऐतिहासिक फैसला सुनाया कि ‘‘इसे राज्यपाल द्वारा सहमति देने के रूप में माना जाना चाहिए।’’

स्टालिन ने कहा, ‘‘यह फैसला केवल तमिलनाडु की ही नहीं, बल्कि भारत की सभी राज्य सरकारों की जीत है।’’

तमिलनाडु में सत्तारूढ़ द्रमुक सरकार और राज्यपाल के बीच कई मुद्दों पर गतिरोध रहा है। इससे पहले उच्चतम न्यायालय की पीठ ने कहा था कि राज्यपाल सहमति को रोककर ‘पूर्ण वीटो’ या ‘आंशिक वीटो’ (पॉकेट वीटो) की अवधारणा को नहीं अपना सकते।

भाषा
चेन्नई


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