मोहाली की पॉक्सो कोर्ट ने स्वघोषित पादरी बजिंदर सिंह को 2018 के यौन उत्पीड़न मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।

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कोर्ट ने पिछले हफ्ते बजिंदर को भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (बलात्कार), धारा 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाने) और धारा 506 (आपराधिक धमकी) के तहत दोषी करार दिया था।
इस पादरी पर एक महिला के साथ यौन शोषण के गंभीर आरोप थे। मामले की सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने पुख्ता सबूत और गवाह पेश किए, जिसके आधार पर कोर्ट ने यह कड़ा फैसला सुनाया है।
सजा के ऐलान के बाद पीड़ितों ने राहत की सांस ली, वहीं बचाव पक्ष ने उच्च न्यायालय में अपील करने की बात कही है।
यह मामला तब सुर्खियों में आया था, जब एक महिला ने बजिंदर सिंह पर दुष्कर्म का गंभीर आरोप लगाया था। पीड़िता ने दावा किया था कि पादरी ने मोहाली स्थित अपने घर पर उसके साथ बलात्कार किया और इस घटना को रिकॉर्ड कर उसे ब्लैकमेल करने की धमकी दी।
महिला के अनुसार, "आरोपी ने उसे धमकाया था कि अगर वह उसकी मांगों को नहीं मानती तो वह वीडियो को सोशल मीडिया पर पोस्ट करके वायरल कर देगा।"
मोहाली की पॉक्सो कोर्ट द्वारा आजीवन कारावास की सजा सुनाए जाने के बाद स्वघोषित पादरी बजिंदर सिंह को कड़ी सुरक्षा के बीच जेल ले जाया गया।
हरियाणा के यमुनानगर निवासी और जालंधर स्थित ‘चर्च ऑफ ग्लोरी एंड विजडम’ के संस्थापक बजिंदर सिंह खुद को ईसा मसीह का दूत बताता है और चमत्कारिक इलाज का दावा करता है।
उसके कई वीडियोज सोशल मीडिया पर वायरल हैं, जिसमें वह मरीजों को ठीक करता दिखाई देता है। हालांकि, अब, बजिंदर सिंह की सजा के बाद उसकी मुश्किलें बढ़ गई हैं।
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