जेके : अंतरिम परिसीमन मसौदे पर सभी दलों में खलबली

Last Updated 10 Feb 2022 04:11:54 AM IST

यदि परिसीमन आयोग के अंतरिम मसौदा में बदलाव नहीं किया गया तो प्रदेश के सियासी नेताओं की चुनावी राहें मुश्किल भरी हो सकती हैं।


जेके : अंतरिम परिसीमन मसौदे पर सभी दलों में खलबली

आयोग ने अपने एसोसिएट सदस्यों को जो अंतरिम मसौदा भेजा है, उस पर न केवल विपक्षी दल ऐतराज उठा रहे हैं, बल्कि जम्मू पहुंचीं फिल्म अभिनेत्री रहीं कांग्रेस नेत्री नगमा ने भी आयोग तथा सरकार पर तीखा हमला किया है। भाजपा में भी खलबली मची हुई है।
अंतरिम मसौदा ने उन नेताओं को भी बेचैन कर दिया है, जो समय की नजाकत को भांपते हुए विगत एक अरसे में कांग्रेस अथवा नेशनल कॉन्फ्रेंस से भाजपा में चले गए थे। उनके निर्वाचन क्षेत्र या तो आरक्षित कर दिए गए अथवा पुर्निर्धारण कर उनकी शक्ल बदल दी गई। अंतरिम मसौदा को लेकर घाटी तथा जम्मू संभाग में सियासत तेज हो गई है। जम्मू संभाग में इस बात की भी हैरानगी जताई जा रही है कि आखिर जम्मू पुंछ संसदीय क्षेत्र का पुंछ तथा राजौरी का अधिकतर इलाका दक्षिण कश्मीर की अनंतनाग संसदीय सीट से कैसे जोड़ दिया गया है। लोगों का आरोप है कि क्योंकि गत लोकसभा चुनाव में पुंछ तथा राजौरी इलाके से कांग्रेस के प्रत्याशी रहे रमन भल्ला को भाजपा से काफी ज्यादा वोट मिले थे। जम्मू जिले में भारत-पाक सीमा से सटे सुचेतगढ़ तथा मढ़ इलाके से 2014 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के चौधरी श्यामलाल तथा चौधरी सुखनंदन विजयी हुए थे। दोनों जाट नेता हैं। यह दोनों विस क्षेत्र किसान तथा किसानी के लिए जाने जाते हैं।
दोनों विधानसभा क्षेत्र अनारक्षित थे। अब मढ को आरक्षित कर दिया गया और सुचेतगढ़ को खत्म कर एक हिस्सा आरएस पुरा जो पहले से आरक्षित है, उसे आरक्षित रखा गया है और आधा हिस्सा जो विश्नाह में मिलाया गया है, जो पहले अनारक्षित था, अब उसे आरक्षित कर दिया गया है। सुचेतगढ़ विधानसभा क्षेत्र को विभाजित कर आधा हिस्सा आरएस पुरा विधानसभा क्षेत्र तथा आधा हिस्सा बिश्नाह विधानसभा क्षेत्र में शामिल किया गया है। किस प्रकार सुचेतगढ़ विधानसभा सीट को खत्म कर दिया गया और मढ़ विधानसभा सीट को आरक्षित कर दिया गया है। इससे यहां के स्थानीय नागरिकों में तो उबाल है ही, वहीं भाजपा के स्थानीय नेता भी परेशान हैं। आरोप है कि इन दोनों सीटों की शक्ल-सूरत इसलिए बदल दी गई है, क्योंकि शायद भाजपा को शक है कि यहां के जाट समुदाय के किसान कहीं किसान आंदोलन से तो नहीं जुड़े रहे।

दरअसल जम्मू संभाग में कांग्रेस, भाजपा व अन्य दलों के नेताओं की जिन पारंपरिक सीटों का पुर्निर्धारण किया गया है, उनमें कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद के बेहद करीबी ताराचंद की खौड आरक्षित सीट को अनारक्षित, कांग्रेस से भाजपा में गए पूर्ववर्ती सरकार में मंत्री रहे श्यामलाल शर्मा की अखनूर सीट अब आरक्षित की जा रही है। इसी प्रकार पैंथर्स पार्टी के चेयरमैन एवं पूर्ववर्ती सरकारों में मंत्री रहे हषर्देव सिंह की रामनगर सीट को भी इस अंतरिम मसौदा में आरक्षित दिखाया गया है, जिसे लेकर हषर्देव सिंह खासे गुस्से में हैं और उन्होंने राज्य निर्वाचन आयोग के दफ्तर के बाहर प्रदर्शन भी किया।
जम्मू जिले में परंपरागत वीवीआइपी सीट कही जाने वाली गांधीनगर को भी दो भागों में बांट दिया गया है। यहां से कांग्रेस के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष रमन भल्ला तथा भाजपा से कविंदर गुप्ता 2014 का चुनाव कांग्रेस के कद्दावर नेता रमन भल्ला को हराकर जीते थे। मुश्किल नगरोटा से नेशनल कांफ्रेंस की टिकट पर विधायक बने देवेंद्र सिंह राणा के लिए भी है, जो कुछ माह पहले नेशनल काफ्रेंस को गुडबाय करके भाजपा के जहाज में सवार हुए थे। उनकी विधानसभा सीट नगरोटा का भी नक्शा अंतरिम मसौदा में बदला हुआ है।

सहारा न्यूज ब्यूरो
जम्मू


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