पंजाब की सियासत में बड़ा भूचाल, CLP बैठक से पहले कैप्टन अमरिंदर सिंह ने मुख्यमंत्री पद से दिया इस्तीफा
कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पंजाब के मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया है। शनिवार को सीएलपी बैठक से पहले उन्होंने राजभवन पहुंचकर राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंपा है।
कैप्टन अमरिंदर सिंह ने मुख्यमंत्री पद से दिया इस्तीफा |
इस्तीफा सौंपने के बाद कैप्टन अमरिंदर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कहा कि मैंने आज सुबह ही फैसला कर लिया थाा। इस बारे में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को भी बता दिया थाा। उन्हें(कांग्रेस अध्यक्ष) जिसपर विश्वास है उसे मुख्यमंत्री बनाए।
अमरिंदर सिंह ने कहा कि पिछले कुछ महीनों मे तीसरी बार ये हो रहा है कि विधायकों को दिल्ली में बुलाया गया। मैं समझता हूं कि अगर मेरे ऊपर कोई संदेह है, मैं सरकार चला नहीं सका, जिस तरीके से बात हुई है मैं अपमानित महसूस कर रहा हूं। मैंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया है। फ्यूचर पॉलिटिक्स हमेशा एक विकल्प होती है और जब मुझे मौका मिलेगा मैं उसका इस्तेमाल करूंगा।
पंजाब के सीएम पद की दौड़ में सुनील जाखड़ सबसे आगे
पंजाब के पूर्व अध्यक्ष सुनील जाखड़ मुख्यमंत्री पद की दौड़ में सबसे आगे चल रहे हैं, सूत्रों ने कहा कि पार्टी आप का मुकाबला करने के लिए चुनाव से पहले गैर सिख चेहरा पेश करना चाहती है, जो राज्य में मजबूत हो रही है। सूत्रों का कहना है कि पार्टी चुनाव में एक सिख, नवजोत सिंह सिद्धू को राज्य पार्टी प्रमुख और गैर सिख संयोजन के रूप में चाहती है। दूसरा नाम जो सामने आ रहा है वह प्रताप सिंह बाजवा का है।
माना जा रहा है कि सीएलपी की बैठक से चंद घंटे पहले ही आलाकमान ने अमरिंदर सिंह को इस्तीफा देने के लिए कह दिया था ताकि नए पदाधिकारी का चुनाव हो सके।
इससे पहले, हालांकि मुख्यमंत्री ने अपमानित होने पर पार्टी छोड़ने की 'धमकी' दी है।
पंजाब में कांग्रेस के 50 से अधिक विधायकों ने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर आग्रह किया है कि अमरिंदर सिंह को मुख्यमंत्री पद से हटाया जाए। पार्टी के उच्च पदस्थ सूत्रों ने चंडीगढ़ में कांग्रेस विधायक दल की बैठक से पहले शनिवार को यह जानकारी दी।
पता चला है कि पंजाब प्रदेश कांग्रेस में संकट बढ़ने के बाद अमरिंदर सिंह ने भी सोनिया गांधी से बात की और बार-बार हो रहे अपने ‘अपमान’ को लेकर नाराजगी जताई। सोनिया से अमरिंदर के बात करने के बारे में फिलहाल कोई आधिकारिक जानकारी सामने नहीं आई है।
सूत्रों का कहना है कि यह संकट ‘गंभीर’ है क्योंकि बहुत सारे विधायकों ने विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले मुख्यमंत्री को बदलने की मांग की है।
विधायकों ने अपने पत्र में सोनिया गांधी ने विधायक दल की बैठक बुलाने कर मांग की। पार्टी आलाकमान ने शनिवार शाम बैठक बुलाने का निर्देश दिया और वरिष्ठ नेताओं अजय माकन और हरीश चौधरी को केंद्रीय पर्यवेक्षक नियुक्त किया।
कांग्रेस महासचिव और पंजाब प्रभारी हरीश रावत भी विधायक दल की बैठक में मौजूद रहेंगे।
मिनट दर मिनट बदलते राजनीतिक घटनाक्रम की शुरूआत शुक्रवार की रात करीब 11 बजकर 42 मिनट पर हुई जब पंजाब कांग्रेस के प्रभारी हरीश रावत ने शनिवार को तत्काल सीएलपी की बैठक करने के फैसले के बारे में ट्वीट किया।
करीब 10 मिनट बाद प्रदेश पार्टी अध्यक्ष नवजोत सिद्धू ने सभी विधायकों को सीएलपी की बैठक में उपस्थित रहने का निर्देश दिया है।
रावत की घोषणा को हाईकमान की ओर से नए पदाधिकारी को नियुक्त करने के संकेत के रूप में देखा जा रहा है, जिसके नेतृत्व में पार्टी मार्च 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव में जाएगी।
राजनीतिक घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए, पूर्व राज्य अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने ट्वीट किया, "वाह राहुल गांधी, आपने बेहद उलझी हुई गुत्थी के पंजाबी संस्करण के समाधान का रास्ता निकाला है। आश्चर्यजनक ढंग से नेतृत्व के इस साहसिक फैसले ने ना सिर्फ पंजाब कांग्रेस के झंझट को खत्म किया है, बल्कि इसने कार्यकर्ताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया है और अकालियों की बुनियाद हिला दी है।"
सूत्रों ने बताया कि विधायकों की मांग और आपात स्थिति में बैठक बुलाए जाने के मद्देनजर विधायक दल की इस बैठक में कुछ भी हो सकता है। अगर विधायक अपनी मांग पर अड़े रहते हैं तो फिर इसी बैठक में ही नेतृत्व परिवर्तन को लेकर फैसला हो सकता है।
इस बीच, मुख्यमंत्री सीएलपी की बैठक में जाने से पहले पार्टी विधायकों से मिलने के लिए यहां अपने आधिकारिक आवास पर पहुंच रहे हैं।
बैठक में मुख्यमंत्री खेमे को बदलने की मांग होने की स्थिति में सख्त रुख अपनाने का विकल्प चुन सकता है।
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