AIIMS News : एम्स में जल्द शुरू होगी स्क्रीनिंग ओपीडी

Last Updated 06 May 2024 01:41:21 PM IST

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स - AIIMS) में मरीजों को डाक्टरी परामर्श के लिए फिलहाल काफी जद्दोजहद करनी पड़ती है। इसको दूर करने के लिए एम्स फैकल्टी कमेटी ने एक पॉलिसी तैयार की है।


अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान

इसके तहत बीमारी कितनी गंभीर है स्क्रीनिंग की जाएगी फिर उसे ओपीडी में जाना है या फिर इमरजेंसी व अन्य सर्जिकल प्रोसीजर की किस यूनिट में भेजना है यह निर्णय लिया जाएगा। उम्मीद है इस पॉलिसी को जून के तीसरे सप्ताह में लागू किया जा सकता है।

एम्स के निदेशक डा. एम श्रीनिवास के अनुसार यहां पर देश के कोने-कोने से मरीज गंभीर बीमारियों का इलाज कराने आते हैं। आसपास के कुछ मरीज छोटी-मोटी बीमारी में भी यहां इसलिए दिखाने चले आते हैं कि कहीं बाद में कोई दिक्कत न बढ़ जाए।

ओपीडी में मरीजों को देखने को लेकर बड़ा फैसला करने जा रहा है। एम्स में स्क्रीनिंग ओपीडी शुरू की जाएगी। इसके लिए पॉलिसी भी बन चुकी है। जल्द एम्स की ओपीडी में दिखाने के लिए आने वाले नए मरीजों को स्क्रीनिंग ओपीडी से भी गुजरना होगा।

पेशेंट फ्रेंडली योजना : एम्स में डिपार्टमेंट ऑफ हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन प्रो. निरु पम मदान के अनुसार स्क्रीनिंग ओपीडी से मरीजों की दिक्कतें कम होंगी।  स्क्रीनिंग ओपीडी सामान्य ओपीडी से  अलग होगी। यह पूरी तरह नए पेशेंट के लिएहोगी।

सभी पेशेंट्स की स्क्रीनिंग होगी जो माइनर बीमारी वाले मरीज होंगे वे वहीं पर हेंडल किए जाएंगे और जिन्हें इन डेप्थ इन्वेस्टिगेशन और फॉलोअप की जरूरत होगी या जिनकी बीमारी गंभीर होगी उन्हें अंदर ओपनिंग ओपीडी में भेजा जाएगा। स्क्रीनिंग ओपीडी में एसआर रहेंगे जो इसका फैसला करेंगे और ट्रीटमेंट करेंगे।

फायदा : एम्स में रोजाना करीब 20 हजार मरीज ओपीडी में दिखाने आते हैं। जिनमें कुछ तो सेकेंडरी ट्रीटमेंट लेने आते हैं जबकि कुछ लोग प्राइमरी ट्रीटमेंट के लिए आते हैं। उनको माइनर इलनेस होती है जो किसी अन्य अस्पताल में दिखाने से भी ठीक हो सकती है, तो स्क्रीनिंग ओपीडी में ऐसे मरीजों को अलग किया जा सकेगा।

रेजिडेंट डॉक्टर्स इन मरीजों को देखेंगे और जिन मरीजों को फॉलोअप की जरूरत नहीं है, उन्हें वहीं से ट्रीटमेंट देकर घर भेज देंगे, जबकि जिन्हें वास्तव में जरूरत है, उन्हें आगे ओपीडी में भेजेंगे। ऐसा करने से ओपीडी में भीड़ भी कम होगी और ज्यादा से ज्यादा गंभीर मरीजों को इलाज मिल पाना संभव होगा।

चूंकि इमरजेंसी में तो पहले से ही स्क्रीनिंग होती है। यहां मरीजों को पहले इमरजेंसी में लाया जाता है, स्क्रीनिंग की जाती है। ये इमरजेंसी रेड, येलो और ऑरेंज जोन में डिवाइडेड हैं। जो गंभीर हो,मरीज होते हैं। उन्हें रेड इमरजेंसी में भेजा जाता है।
 

समय लाइव डेस्क
नई दिल्ली


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