सामूहिक दुष्कर्म मामले में चार आरोपी बरी

Last Updated 02 Apr 2024 08:25:20 AM IST

दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi Highcourt) ने निचली अदालत के उसे आदेश को निरस्त कर दिया जिसमें एक महिला के साथ कथित सामूहिक दुष्कर्म के लिए चार लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।


सामूहिक दुष्कर्म मामले में चार आरोपी बरी

न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत एवं न्यायमूर्ति मनोज जैन की पीठ ने इस मामले की घटिया जांच के लिए दिल्ली पुलिस की आलोचना की और अभियोजन पक्ष के पहले बयान से भटकने के लिए निचली अदालत की आलोचना की। उसमें बाद में सुनवाई के दौरान दिए बयान को अस्वीकार कर दिया गया था।

पीठ ने कहा निचली अदालत ने भी इस तथ्य को कोई महत्व नहीं दिया कि ऐसा बयान उसने 29 जुलाई, 2018 को दिया गया था और उसके तुरंत बाद जब उसे संबंधित मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया था। उस समय उसने धारा 164 सीआरपीसी के तहत अपने बयान में स्पष्ट रूप से कहा था कि उसने अपना घर छोड़ दिया था और गवाह बॉक्स में भी उसने यही बात दोहराई थी। ऐसी स्थिति में वस्तुत: ऐसा कुछ भी नहीं था जो यह संकेत दे सके कि उसका अपहरण कर लिया गया था और फिर बंधक बनाकर उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया था।

पुलिस जांच पर कोर्ट ने पाया कि भले ही पीड़िता ने अपने मोबाइल से पुलिस को कॉल किया था, लेकिन न तो पीसीआर फॉर्म और न ही कॉल डिटेल रिकॉर्ड्स (सीडीआर) को रिकॉर्ड पर रखा गया था, जो उसके स्थान को दशार्ने और मामला मजबूत करने के लिए आवश्यक था।

पीठ ने कहा पीड़िता अनुसार उसका मोबाइल पुलिस ने जब्त कर लिया था। ऐसा लगता है कि कॉल विवरण रिकॉर्ड प्राप्त करने और उसे रिकॉर्ड पर रखने का कोई प्रयास नहीं किया गया। ऐसे मूल्यवान साक्ष्य को रोके रखना अभियोजन पक्ष के खिलाफ एक परिस्थिति के रूप में लिया जाना चाहिए।

पीठ ने कहा हम यह टिप्पणी करने में कोई कोताही नहीं बरतेंगे कि महिला के कॉल डिटेल रिकॉर्ड में उसका स्थान भी दर्शाया गया होगा, जिससे अभियोजन का मामला भी मजबूत हो सकता था, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि इतने मूल्यवान साक्ष्य को एकत्र करने की जहमत क्यों नहीं उठाई गई।

कोर्ट ने जोर देकर कहा कि इसे सहमति से बनाए गए शारीरिक संबंध का मामला भी माना जा सकता है। कोर्ट ने उक्त टिप्पणी करते हुए चारों दोषियों की अपील स्वीकार कर लिया और उन्हें बरी कर दिया।
 

समयलाइव डेस्क
नई दिल्ली


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment