यूएपीए के तहत गिरफ्तार सफूरा जरगर का पीएचडी दाखिला रद्द, जामिया मिलिया इस्लामिया ने लिया फैसला

Last Updated 26 Aug 2022 11:25:03 AM IST

जामिया मिल्लिया इस्लामिया ने सफूरा जरगर के पीएचडी के दाखिले को रद्द करने की स्वीकृति प्रदान की है।


सफूरा जरगर

सफूरा को नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध के दौरान उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई सांप्रदायिक हिंसा के मामले में गैर कानूनी गतिविधियां निरोधक अधिनियम (यूएपीए) के तहत गिरफ्तार किया गया था। वह जामिया में एमफिल की छात्रा रही थी। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के जेसस एंड मैरी कॉलेज से बीए किया है। इसके बाद उन्होंने जामिया मिलिया इस्लामिया से समाजशास्त्र में एमए किया, और 201 9 में एमफिल शुरू किया।

जामिया विश्वविद्यालय का कहना है कि थीसिस में सफूरा जरगर का कार्य संतोषजनक नहीं है। थीसिस में आवश्यक प्रगति न होने के कारण उनका रिसर्च कार्यक्रम रद्द कर दिया गया है। जामिया मिलिया इस्लामिया से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि सफूरा जरगर को थीसिस के मामले में कई बार एक्सटेंशन दिया गया। विश्वविद्यालय ने अपने स्तर पर उनको हर संभव सहायता प्रदान की, बावजूद इसके उनकी प्रगति असंतोषजनक रही है।

जामिया मिलिया इस्लामिया में सफूरा जरगर के सुपरवाइजर और रिसर्च एडवाइजरी कमेटी द्वारा उनका एडमिशन रद्द करने की सिफारिश की गई। इस सिफारिश को डिपार्टमेंट रिसर्च कमेटी डीआरसी द्वारा अनुमोदित किया गया। अब अध्ययन बोर्ड से इसे अंतिम मंजूरी मिल गई है। फिलहाल इस को लेकर अधिसूचना जारी नहीं की गई है लेकिन विश्वविद्यालय का कहना है कि जल्द ही इस संबंध में एक अधिसूचना भी जारी कर दी जाएगी।

जामिया मिलिया इस्लामिया द्वारा की गई इस कार्रवाई पर सफूरा जरगर ने सोशल मीडिया पर अपना पक्ष रखते हुए कहा कि एमफिल थीसिस जमा करने के विस्तार के लिए उनके आवेदन को आठ महीने से अधिक समय के लिए रोक दिया गया। हालांकि इसकी कोई लिखित जानकारी नहीं दी गई है अभी उन्हें केवल मौखिक रूप से सूचित किया है कि उन्हें विस्तार नहीं दिया जा रहा है। सफूरा ने आशंका जाहिर करते हुए कहा कि मेरा एडमिशन जल्द ही रद्द कर दिया जाएगा। यह पूरी तरह से भेदभाव पूर्ण कार्यवाही है।

उन्होंने इस संबंध में जामिया मिलिया इस्लामिया की वाइस चांसलर नसीम अख्तर को एक पत्र लिखा है जिसमें उन्होंने कहा है कि उनका उत्पीड़न और उपहास किया जा रहा है।

हालांकि इस संबंध में जामिया मिलिया इस्लामिया का कहना है कि सफूरा को फील्डवर्क करने और समय पर अपना काम पूरा करने के लिए कई बार प्रोत्साहित किया लेकिन जरगर ने अपने काम में कोई प्रगति नहीं की। विश्वविद्यालय ने उनकी रिपोर्ट को और संतोषजनक करार दिया है।

जरगर जामिया मिलिया इस्लामिया में एमफिल की छात्रा और जामिया समन्वय समिति की मीडिया समन्वयक थीं। वह 10 अप्रैल से 24 जून 2020 तक हिरासत में थी। उन पर दंगों की साजिश का हिस्सा होने और 23 फरवरी 2020 को भड़काऊ भाषण देने का आरोप लगाया गया था। जरगर का जन्म 1993 में जम्मू कश्मीर स्थित किश्तवाड़ में हुआ था। उनके पिता एक सरकारी कर्मचारी थे।

आईएएनएस
नई दिल्ली


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