पाक खुफिया एजेंसी ने राष्ट्र के खिलाफ लिखने के आरोप में किया कराची के पत्रकार का अपहरण
कराची में लापता हुए पाकिस्तानी पत्रकार वारिस रजा अपने घर लौट आए हैं और उन्होंने कहा है कि उन्हें सावधानी बरतने की चेतावनी दी गई है। पत्रकार ने हालांकि कहा कि वह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अपने अधिकार का प्रयोग करना जारी रखेंगे।
कराची में लापता हुए पाकिस्तानी पत्रकार वारिस रजा |
इससे पहले रजा के परिवार ने कहा था कि उसे कराची के गुलशन-ए-इकबाल इलाके में मंगलवार और बुधवार की दरम्यानी रात को हिरासत में लिया गया था। फ्राइडे टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, गुलशन-ए-इकबाल में पुलिस ने हालांकि दावा किया कि उन्हें घटना के बारे में कोई जानकारी नहीं है।
14 घंटे तक लापता रहने के बाद घर लौटते हुए रजा ने बीबीसी को बताया कि उनकी आंखों पर पट्टी बांधी गई थी और उन्हें किसी अज्ञात स्थान पर ले जाया गया। उन्होंने कहा कि लेकर जाने वाले लोगों ने कहा कि वे रेंजर्स के साथ नहीं हैं। उन्होंने उल्लेख किया कि वे एक खुफिया एजेंसी से जुड़े हैं, लेकिन उन्होंने इसका नाम नहीं बताया।
रजा ने रजा ने बीबीसी को बताया कि उनका अपहरण करने वालों ने उन्हें बताया कि वह राष्ट्र के खिलाफ लिख रहे हैं, जिस पर उन्होंने जवाब दिया कि वह पाकिस्तान के संविधान के अनुच्छेद 9 के अनुसार लिख रहे हैं। अपहरण करने वालों ने फिर उससे पूछा कि वह किस लेख के बारे में बात कर रहे हैं, जिस पर रजा ने कहा कि यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से संबंधित है।
अपहरण करने वाले कथित एजेंसी के लोगों ने उनसे उनके फेसबुक पोस्ट और एक अखबार के लिए लिखे कॉलम के बारे में भी सवाल पूछे। उन्होंने रजा से पूछा, आप हाइब्रिड सिस्टम के खिलाफ क्यों हैं? क्या यह वाकई इतना बुरा है।
रजा ने जवाब दिया कि हाइब्रिड सिस्टम लोकतांत्रिक मानदंडों के खिलाफ है और इसलिए उन्होंने इसका विरोध किया है।
रजा का अपहरण करने वालों ने उनसे कहा कि वह एक ईमानदार व्यक्ति हैं, जिसे इस बारे में सोचना चाहिए कि वह पाकिस्तान मीडिया विकास प्राधिकरण के खिलाफ क्यों हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि पत्रकार को इसके बाद समझाया गया कि सावधान रहें और फिर से इस तरह का काम न दोहराएं।
रजा ने कहा कि उन्होंने जोर देकर कहा कि वह अपनी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को नहीं छोड़ेंगे। बाद में उन्हें गुलशन-ए-इकबाल थाने के पास लाया गया और छोड़ दिया गया।
रजा उर्दू दैनिक एक्सप्रेस से जुड़े हैं और पाकिस्तान की कम्युनिस्ट पार्टी के प्रमुख सदस्य रहे हैं। वे प्रगतिशील लेखक संघ के महासचिव भी हैं।
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