सरकार के झूठे दावे गंभीर चिंता का विषय : हाईकोर्ट

Last Updated 04 Jul 2021 12:51:29 AM IST

दिल्ली हाईकोर्ट ने दंड के भय के बिना सरकार के झूठे दावे करने और बचाव करने पर हैरानी जताते हुए कहा कि ऐसा करने वाले अधिकारियों की कोई जवाबदेही नहीं होती।


सरकार के झूठे दावे गंभीर चिंता का विषय : हाईकोर्ट

अदालत ने केंद्र एवं दिल्ली सरकार से कहा कि वे अदालती मामलों से निपटने में चूक होने पर अधिकारियों को जवाबदेह बनाने के मकसद से नियम बनाएं।

उच्च न्यायालय ने इसे गंभीर चिंता का विषय बताया और कहा कि उसका प्रथमदृष्टया यह मानना है कि जब भी सरकार कोई झूठा दावा करती है, तो इससे न्याय की मांग कर रहे वादी के साथ घोर अन्याय होता है और अदालत पर भी अनावश्यक दबाव पड़ता है। न्यायमूर्ति जे आर मिड्ढा ने 31 पन्नों के आदेश में कहा, ‘इन सभी मामलों में सरकार ने इस अदालत के समक्ष झूठे दावे किए हैं, जो कि गहरी चिंता का विषय है। इन सभी मामलों ने इस अदालत की अंतरात्मा को झकझोर दिया है। ऐसा प्रतीत होता है कि सजा के डर के बिना इस प्रकार के झूठे दावे किए जा रहे हैं, क्योंकि झूठे दावे करने के लिए किसी सरकारी अधिकारी की कोई जवाबदेही नहीं होती और सरकार झूठे दावे करने वाले व्यक्ति के खिलाफ शायद ही कार्रवाई करती हैं।’

अदालत ने कहा कि इन झूठे दावों के कारण सरकार को भी नुकसान होता है, लेकिन झूठे दावे करने वाले संबंधित अधिकारी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती।

अदालत ने कहा,‘यदि अदालत अधिकारियों के दिए तथ्यों को झूठा या गलत पाती है, तो सरकार को कार्रवाई करने पर विचार करना चाहिए और फैसले की प्रति अधिकारी की एसीआर (वाषिर्क गोपनीय रिपोर्ट) फाइल में रखी जाए। इससे अदालती मामलों में अधिकारी के उठाए कदमों के लिए उसकी जवाबदेही सुनिश्चित होगी।’

उच्च न्यायालय ने अदालती मामलों से निपटने में चूक के लिए अपने अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराने के उद्देश्य से सिक्किम के बनाए नियमों का उल्लेख करते हुए कहा कि केंद्र सरकार के साथ-साथ दिल्ली सरकार को भी इसी तरह के नियमों को शामिल करना चाहिए।

अदालत ने कहा कि हरियाणा ने राज्य में मुकदमों को समझने, प्रबंधित करने और संचालित करने के तरीके में सुधार लाने के लिए हरियाणा राज्य मुकदमा नीति-2010 तैयार की है। उसने कहा कि अदालतों में लंबित मामलों और देरी की राष्ट्रीय चिंता को सक्रिय रूप से कम करने की आवश्यकता है।

केंद्र सरकार के स्थायी वकील कीर्तिमान सिंह ने अदालत को सूचित किया कि वर्तमान में सरकार की कोई मुकदमा नीति नहीं है और राष्ट्रीय मुकदमा नीति 2010 को कभी लागू नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि इस अदालत ने राष्ट्रीय मुकदमा नीति के कार्यान्वयन संबंधी एक रिट याचिका को पहले खारिज कर दिया था।

भाषा
नई दिल्ली


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