दिल्ली के 3 अस्पतालों में ब्लैक फंगस के इलाज के लिए डेडिकेटेड ट्रीटमेंट सेंटर बनाएगी केजरीवाल सरकार
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बृहस्पतिवार को कहा कि दिल्ली सरकार के तीन अस्पतालों में ब्लैक फंगस या म्यूकरमाइकोसिस के इलाज के लिए विशेष केंद्र बनाये जाएंगे।
![]() ब्लैक फंगस रोगियों के इलाज के लिए विशेष केंद्र बनाएगी दिल्ली सरकार (file photo) |
केजरीवाल ने यहां एक बैठक में अधिकारियों और विशेषज्ञों के साथ ब्लैक फंगस के बढ़ते मामलों पर विचार-विमर्श करने के बाद यह घोषणा की।
उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘ब्लैक फंगस बीमारी की रोकथाम और इलाज के लिए बैठक में कुछ अहम निर्णय लिए। ब्लैक फंगस के इलाज के लिए लोक नायक जयप्रकाश अस्पताल, गुरु तेग बहादुर अस्पताल और राजीव गांधी सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में केंद्र बनाये जाएंगे।’’
केजरीवाल ने कहा कि इस बीमारी के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाओं का पर्याप्त मात्रा में प्रबंध किया जाएगा और बीमारी से बचाव के उपायों को लेकर लोगों में जागरूकता फैलाने का निर्णय लिया गया है।
उन्होंने हिंदी में अपने ट्वीट में लिखा, ‘‘हमें इस बीमारी को बढ़ने से भी रोकना है और जिन्हें ये बीमारी हो रही है उन्हें जल्द से जल्द बेहतर इलाज देना है।’’
1- ब्लैक फंगस के इलाज के लिए LNJP, GTB और राजीव गांधी अस्पताल में सेंटर बनाए जाएंगे
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) May 20, 2021
2- इसके इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाओं का पर्याप्त मात्रा में प्रबंध
3- बीमारी से बचाव के उपायों को लेकर लोगों में जागरूकता फैलाना
दिल्ली के अस्पतालों में नोवेल कोरोना वायरस की दूसरी लहर के दौरान संक्रमण से स्वस्थ हुए कुछ लोगों में ब्लैक फंगस की बीमारी के मामले सामने आये हैं।
देश की राष्ट्रीय राजधानी होने की वजह से दिल्ली में ब्लैक फंगस का इलाज कराने वाले मरीजों की संख्या अधिक हो सकती है।
इसके मद्देनजर निर्णय लिया गया कि इस बीमारी से संबंधित दवाओं का पर्याप्त मात्रा में व्यवस्था की जाए।
केंद्र सरकार से ब्लैक फंगस के इलाज के लिए दवाइयों का जो कोटा दिल्ली का है, उसे भी जल्द से जल्द प्राप्त करने के निर्देश दिए गए, ताकि दिल्ली में ब्लैक फंगस के आने वाले मरीजों को समय से बेहतर इलाज दिया जा सके।
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि ब्लैक फंगस के मरीजों के इलाज के लिए पर्याप्त मात्रा में दवाओं के इंतजाम की कार्रवाई तेज कर दी गई है।
विशेषज्ञों के अनुसार संक्रमितों द्वारा बिना डॉक्टरों की सलाह के घर में स्टेरॉइड का अनावश्यक अधिक इस्तेमाल करने की वजह से इस तरह के मामले आ रहे हैं। यह फंगल संक्रमण फेफड़ों, साइनस, आंखों और मस्तिष्क को प्रभावित कर सकता है तथा मधुमेह पीड़ितों के लिए घातक हो सकता है।
इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल में ईएनटी विशेषज्ञ सुरेश सिंह नारुका के अनुसार मधुमेह, किडनी रोग, यकृत रोग, वृद्धावस्था, हृदय संबंधी व्याधियों आदि के कारण जिन लोगों की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है, उन्हें म्यूकरमाइकोसिस होने का जोखिम अधिक होता है।
उन्होंने कहा, ‘‘जब ऐसे रोगियों को स्टेरॉइड दिये जाते हैं तो उनकी प्रतिरोधक क्षमता और कम हो जाती है और फंगस का प्रकोप बढ़ जाता है।’’
एम्स में सहायक प्रोफेसर युद्धवीर ने कहा कि म्यूकरमाइकोसिस के इलाज में कारगर दवा एम्फोटेरिसिन-बी सामान्य तरीके से बाजार में उपलब्ध नहीं होती और बहुत कम मात्रा में इसका उत्पादन होता है।
उन्होंने कहा, ‘‘कोविड-19 से पहले दवा का अधिक इस्तेमाल नहीं होता था। अब इसकी मांग बढ़ गयी है जिसकी वजह से इसकी कमी हो गयी है।’’
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