किसान नेता हठधर्मिता छोड़ सौहार्दपूर्ण माहौल में करें बात: कृषि राज्यमंत्री
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्यमंत्री कैलाश चौधरी ने नये कृषि कानूनों के विरोध करने वाले किसान संगठनों से बुधवार को सरकार के साथ होने वाली वार्ता के दौरान हां या ना में जवाब मांगने की हठधर्मिता को त्यागकर सौहार्दपूर्ण माहौल में बातचीत करने की अपील की है।
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्यमंत्री कैलाश चौधरी |
कृषि राज्यमंत्री कैलाश चौधरी नये कृषि कानूनों के प्रबल समर्थक हैं और उनका कहना है कि इन कानूनों से आने वाले समय में किसानों के जीवन में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। वह कहते हैं मोदी सरकार ने किसानों की खुशहाली के लिए ही ये कानून लागू किए हैं।
नये कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर एक महीने से ज्यादा समय से आंदोलन कर रहे किसानों की अगुवाई करने वाले किसान संगठनों के नेताओं और सरकार के बीच बुधवार को छठे दौर की वार्ता होने जा रही है। इस वार्ता से पहले आईएएनएस को दिए एक साक्षात्कार में कैलाश चौधरी ने कहा किसानों से जुड़े प्रमुख मसलों पर बातचीत की।
आईएएनएस ने कृषि राज्यमंत्री से जानना चाहा कि किसान यूनियन के साथ कल (बुधवार) की वार्ता में किन मसलों पर सरकार किसानों के साथ समझौता करने को तैयार होगी? इस सवाल पर उन्होंने कहा कि नए कृषि कानूनों के बाद किसान इस बात से परेशान हो गए कि उनको आगे फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) मिलेगा या नहीं, लेकिन सरकार की तरफ से पहले भी यह स्पष्ट किया जा चुका है कि एमएसपी पर फसलों की खरीद जारी रहेगी और सरकार किसानों को फिर यह भरोसा दिलाएगी कि नए कानून से एमएसपी पर कोई असर नहीं होगा।
उन्होंने कहा कि एपीएमसी सिस्टम को भी कमजोर नहीं होने दिया जाएगा। मौजूदा मंडी सिस्टम जारी रहेगा और एपीएमसी मंडी के बाहर भी कृषि उत्पादों की खरीद-बिक्री का विकल्प मौजूद रहेगा। किसानों की एक चिंता न्यायिक अधिकार को लेकर भी है। मौजूदा समय में एसडीएम और ट्राइब्यूनल तक ही अपील की इजाजत है। किसान इसे सिविल कोर्ट तक ले जाने की बात कह रहे हैं। ऐसे में सरकार की ओर से इस पर भी विचार हो सकता है। सरकार किसानों की आशंकाओं के सभी महत्वपूर्ण पहलुओं पर खुले दिमाग से वार्ता करने और विचार करने को सहमत है। सरकार एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) पर खरीद प्रक्रिया को जारी रखने, सुधारने और विस्तार देने के लिए प्रतिबद्ध है।
केंद्रीय मंत्री से आईएएनएस ने पूछा कि क्या तीनों कृषि कानूनों को सरकार वापस लेने पर विचार करेगी? इस पर उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर विभिन्न कार्यक्रमों एवं वक्तव्यों में अपना स्पष्टीकरण दे चुके हैं। सरकार पहले भी कह चुकी है और फिर एक बार विरोध कर रहे किसान संगठनों से आग्रह करेगी कि हां या ना में जवाब मांगने की हठधर्मिता त्यागकर सौहार्दपूर्ण माहौल में शंकाओं के समाधान की दिशा में आगे बढ़ें। भारत सरकार भी साफ नीयत और खुले मन से प्रासंगिक मुद्दों के तर्कपूर्ण समाधान करने के लिए प्रतिबद्ध है।
एमएसपी की गारंटी देने के लिए नया कानून बनाने को लेकर पूछे गए सवाल पर कृषि राज्यमंत्री ने कहा कि एमएसपी को बरकरार रखा जाएगा। साथ ही राज्यों के अधिनियम के अंतर्गत संचालित मंडियां भी राज्य सरकारों के अनुसार चलती रहेंगी। नए कृषि कानून किसानों को मार्केटिंग के विकल्प देकर उन्हें सशक्त बनाएंगे।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने भ्रम फैलाने की कोशिश की है कि एमएसपी पर खरीद खत्म हो जाएगी, जो कि पूरी तरह असत्य है। किसानों के पास मंडी में जाकर लाइसेंसी व्यापारियों को ही अपनी उपज बेचने की विवशता क्यों, अब किसान अपनी मर्जी का मालिक होगा। खेती-किसानी में निजी निवेश से होने से तेज विकास होगा तथा रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
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