हर माह दो बार रूप बदल रहा है वायरस

Last Updated 27 Dec 2020 01:43:41 AM IST

कोरोना के नए रूप को लेकर लोगों में व्याप्त चिंता के बीच विशेषज्ञों ने कहा है कि वायरस का रूप बदलना एक सामान्य घटना है। इससे किसी को चिंतित होने की जरूरत नहीं है।


हर माह दो बार रूप बदल रहा है वायरस

इसके लिए तैयार की जा रही वैक्सीन प्रभावकारी होगी। इलाज में फिलहाल कोई बदलाव नहीं होगा।

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक डा. रणदीप गुलेरिया का ने कहा कि कोविड-19 के नए स्ट्रेन्स को लेकर की जा रही चिंता निमरूल है। कोरोना वायरस हर माह औसतन दो बार म्यूटेट हो चुका है। इसके म्यूटेशंस की वजह से लक्षणों और इलाज की रणनीति में कोई बदलाव नहीं आया है।

वर्तमान डेटा के अनुसार ट्रायल फेज की वैक्सीन (जिन्हें इमज्रेसी आथ्ॉराइजेशन मिलना है) नए स्ट्रेन पर भी असरदार होगी। डॉ. गुलेरिया ने कहा कि भारत के लिए कोविड से लड़ाई में अगले 6 से 8 हफ्ते बेहद अहम हो सकते हैं। नए स्ट्रेन के संबंध में उन्होंने कहा इसकी वजह से अस्पताल में और ज्यादा वक्त नहीं रहना पड़ता और न ही इसके चलते ज्यादा मौतें होती हैं।

10 महीनों के दौरान वायरस ने कई बार रूप बदला है। गौरतलब है कि कोरोना के नए स्ट्रेन बेहद संक्रामक बताए जा रहे हैं। भारत समेत कई देशों ने ब्रिटेन के लिए उड़ानें प्रतिबंधित कर दी हैं। इसके अलावा दक्षिण अफ्रीका से भी उड़ानों पर भी रोक लगने लगी है। आईएचएफ के अध्यक्ष डॉ. आरएन कालरा ने भी कहा कि किसी वायरस का रूप बदलना बेहद सामान्य है। आबादी में जैसे-जैसे वायरस फैलता है, वह अपना रूप बदलता जाता है।

फर्क इतना होता है कि कुछ ज्यादा तेजी से बदलते हैं, कुछ धीमे। नया वैरियंट सार्स-कोवी-2 के स्पाइक प्रोटीन में कई सारे म्यूटेशंस का नतीजा है। इनमें से एक म्यूटेशन को एन-501वाई नाम दिया गया है, यह स्पाइक प्रोटीन के उस एरिया में मिला है जो इंसानी कोशिका के एक प्रमुख प्रोटीन एसीई-2 रिसेप्टर से जुड़ता है। इस नए स्ट्रेन का पहला केस 16 दिसंबर को मिला था।

सहारा न्यूज ब्यूरो/ज्ञानप्रकाश
नई दिल्ली


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