कुतुब मीनार परिसर हिंदुओं को सौंपने पर सुनवाई 24 को
कुतुब मीनार परिसर को हिंदू देवी देवता एवं जैन मंदिर का स्थान बताते हुए वहां पूजा का अधिकार देने की मांग करते हुए साकेत कोर्ट में एक मुकदमा दायर किया गया है।
कुतुब मीनार परिसर हिंदुओं को सौंपने पर सुनवाई 24 को |
मुकदमे में कहा गया है कि मुगल बादशाह कुतुबुद्दीन ऐबक ने 27 हिंदू एवं जैन मंदिरों को तोड़कर वहां मस्जिद बनवा दी।
उसमें उसी मंदिर के पत्थर एवं मंदिर के लिए निर्मिंत फूल पत्तियों, हिंदू धर्म के अनुसार नक्काशी किए गए पत्थर एवं मंदिर के अन्य सामानों का उपयोग किया गया। वहां विष्णु, गणोश, कमल, स्वास्तिक आदि कई ऐसे चिह्न हैं जो पूरी तरह से दर्शाता है कि यह जगह हिंदू मंदिरों की थी और उसी को तोड़कर मस्जिद बनायी गई है। इसीलिए उस मंदिर को हिंदुओं को सौंपा जाए और वहां मंदिर बनाने एवं पूजा करने की अनुमति दी जाए। इसके लिए केंद्र सरकार को एक ट्रस्ट बनाने को कहा जाए।
सिविल जज नेहा शर्मा ने कहा कि वह इस मामले पर 24 दिसम्बर को सुनवाई करेंगी। यह याचिका भगवान विष्णु और पहले जैन तीर्थंकर ऋषभदेव की ओर से वकील हरिशंकर जैन ने दाखिल की है। याचिका में कहा गया है कि मोहम्मद गौरी के गुलाम कुतुबुद्दीन ने दिल्ली आते ही सबसे पहले हिंदुओं के 27 मंदिरों को तोड़ने का आदेश दिया। ग्रहों की गणना के लिए महरौली जो पहले मिहरावली कहलाता था वहां 27 मंदिर बनाए गए थे।
याचिका में यह भी कहा गया है कि जल्दी बाजी में मंदिरों को तोड़कर बची हुई सामग्री से ही कुवल उल इस्लाम नाम की मस्जिद वर्ष 1192 में बना दी गई। इसके निर्माण का मकसद इबादत से ज्यादा स्थानीय हिंदू एवं जैन मंदिरों को तोड़ना था। उस मस्जिद में मुसलमानों ने कभी नमाज नहीं पढ़ी। क्योंकि मस्जिद की दीवारों, खंभे, मेहराबों, दीवारों और छत पर जगह-जगह हिंदू देवी देवताओं की मूर्तियां थी। इसे आज ही देखा जा सकता है।
याचिका में कहा गया है कि मिहरावली की स्थापना चौथी सदी के शासक चंद्रगुप्त विक्रमादित्य के नवरत्नों में से एक वराहमिहरि ने बसाया था। उन्होंने ही ग्रहों की चाल की गणना के लिए 27 नक्षत्रों के प्रतीक 27 मंदिर बनवाए थे।
| Tweet |