CRPF के 86वें स्थापना दिवस समारोह में शामिल हुए अमित शाह, बोले- देश से नक्सलवाद को खत्म करने में जवानों की अहम भूमिका
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह गुरुवार 17 अप्रैल को एक दिवसीय मध्य प्रदेश दौरे पर आए हैं। शाह नीमच में स्थित सीआरपीएफ के 86वें स्थापना दिवस समारोह में शामिल हुए हैं।
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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बृहस्पतिवार को कहा कि 31 मार्च 2026 तक देश से नक्सलवाद को खत्म कर दिया जाएगा और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) इस अभियान में अहम भूमिका निभाएंगे।
शाह, मध्यप्रदेश के नीमच जिले में सीआरपीएफ के 86वें स्थापना दिवस समारोह को संबोधित कर रहे थे।
शाह ने कहा, “प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का कहना है कि 31 मार्च 2026 तक देश से नक्सलवाद का खात्मा हो जाएगा। सीएपीएफ और सीआरपीएफ, खासकर इसकी कोबरा (कमांडो बटालियन फॉर रेसोल्यूट एक्शन) इकाई इसमें अहम भूमिका निभाएगी।”
शाह ने इससे पहले यहां सीआरपीएफ स्थापना दिवस परेड का निरीक्षण किया। शाह ने औपचारिक परेड में भाग लेने से पहले सीआरपीएफ के शहीद जवानों को श्रद्धांजलि दी।
#WATCH नीमच (मध्य प्रदेश): 86वें केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल दिवस समारोह में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, "पशुपति से तिरुपति का हौसला रखने वाले दुर्दांत नक्सलियों को आज 4 जिलों में समेटकर रख देने में CRPF का बहुत बड़ा योगदान है... CRPF की स्थापना और उसका ध्वज देने का काम… pic.twitter.com/GrUAAuoYR3
— ANI_HindiNews (@AHindinews) April 17, 2025
इस अवसर पर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव भी मौजूद थे।
एक आधिकारिक विज्ञप्ति के मुताबिक, यह कार्यक्रम सीआरपीएफ के 86वें स्थापना दिवस समारोह का हिस्सा है।
सीआरपीएफ ने 2001 में संसद भवन पर हुए हमले को नाकाम किया : अमित शाह
शाह ने 2001 में संसद पर हुए हमले को नाकाम करने का श्रेय भी अर्धसैनिक बल के शूरवीरों को दिया।
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने अपने संबोधन में सीआरपीएफ के गौरवशाली इतिहास को याद करते हुए कहा, "2001 में हमारे लोकतंत्र की सबसे बड़ी पंचायत संसद भवन पर हमला हुआ। इसको भी नाकाम सीआरपीएफ के जवानों ने किया। 2005 में श्री राम जन्मभूमि पर आतंकी हमला हुआ, उसको भी निरस्त करने का काम सीआरपीएफ के जवानों ने किया और मंदिर को सुरक्षित रखा। भाइयों और बहनों, सबसे बड़ी कामयाबी सीआरपीएफ के इतिहास में लिखी जाएगी, वह अनेक सालों तक याद रखी जाएगी कि इस देश को नक्सलवाद से मुक्त करने में सीआरपीएफ ने बहुत बड़ा योगदान दिया है।"
उन्होंने कहा, "आज भी दुर्दांत नक्सली जब उनको समाचार मिलते हैं कि कोबरा के जवान उनकी ओर गति से बढ़ रहे हैं तो उनकी रूह कांप जाती है। इस प्रकार का एक बहुत बड़ा शौर्य का परिचायक सीआरपीएफ की कोबरा बटालियन बनी है। मैं आज इस मंच से कोबरा बटालियन के सभी जवानों को हृदयपूर्वक बहुत-बहुत शुभकामनाएं और शाबाशी देना चाहता हूं।"
अमित शाह ने आगे कहा, "देश की आन-बान-शान को सीआरपीएफ के जवानों ने बचा कर रखा। लद्दाख के हॉट स्प्रिंग में 21 अक्टूबर 1959 में चीनी सेना का मुकाबला केवल कुछ चुनिंदा सीआरपीएफ के जवानों ने किया और सबने शहादत हासिल की। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2018 में देश भर के शहीद पुलिसकर्मियों और सभी सीएपीएफ के जवानों की स्मृति में चाणक्यपुरी में राष्ट्रीय पुलिस स्मारक बनाकर इसको हॉट स्प्रिंग की शहादत को गर्व के साथ एक अमर स्वरूप देने का काम किया है।"
उन्होंने कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने के बाद शांति बहाली का जिक्र किया और कहा कि सीआरपीएफ के बगैर यह संभव नहीं था कि धारा 370 हटाने के बाद कश्मीर में शांति बनाए रखी जाती या हर चुनाव को बहुत अच्छे तरीके से किया जाता। कश्मीर से धारा 370 हटाने के बाद जब जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव हो रहे थे, तब बहुत सारी आशंकाएं हो रही थीं, मगर इस बात का गर्व है कि सीआरपीएफ और बाकी सुरक्षा बलों के जवानों ने इतनी सुरक्षा सुनिश्चित की थी कि एक भी बूथ को लूटने नहीं दिया। एक भी जगह गोली नहीं चलानी पड़ी। यह बहुत बड़ी उपलब्धि है।
वहीं बीते 10 साल में नक्सली हिंसा में 70 प्रतिशत से ज्यादा की कमी आई है और वह अब समाप्ति की ओर है। सीआरपीएफ ने अमरनाथ की यात्रा हो, श्री राम जानकी सुरक्षा हो, श्री कृष्ण भूमि सुरक्षा हो या कुंभ या महाकुंभ का अवसर हो, हर जगह मुस्तैदी के साथ अपनी उपस्थिति दर्ज की है। कानून-व्यवस्था बनाए रखने में बहुत सामाजिक कामों में भी सीआरपीएफ ने बड़ी भूमिका निभाई।
उन्होंने आगे कहा कि साल 1965 में कच्छ के रण में सरदार पोस्ट पर सीआरपीएफ के जवान सेना थे। पाकिस्तान की सेना को मुंह तोड़ जवाब दिया और इसीलिए 9 अप्रैल को शौर्य दिवस पूरा देश मनाया जाता है।
हर वर्ष 19 मार्च को सीआरपीएफ दिवस मनाया जाता है। वर्ष 1950 में इसी दिन तत्कालीन गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल ने बल को ध्वज सौंपा था।
विज्ञप्ति के मुताबिक, इस वर्ष विस्तारित समारोह के तहत 17 अप्रैल को परेड आयोजित की गई।
ब्रिटिश शासन के दौरान 27 जुलाई 1939 को नीमच में ही ‘क्राउन रिप्रेजेंटेटिव पुलिस’ की स्थापना की गई थी, जिसका नाम 28 दिसंबर 1949 को गृह मंत्री पटेल ने बदलकर केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल कर दिया था।
सीआरपीएफ, रियासतों के एकीकरण से लेकर आंतरिक सुरक्षा, उग्रवाद-आतंकवाद विरोधी अभियानों, अंतरराष्ट्रीय शांति स्थापना, वीआईपी सुरक्षा और आपदा प्रबंधन जैसे कई मोर्चों पर सशक्त भूमिका निभा रहा है।
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