बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने से केंद्र के इनकार पर बोले नीतीश- सब कुछ धीरे-धीरे जान जाइएगा
केन्द्र सरकार के बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने से इनकार करने पर के राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भेदभरी प्रतिक्रिया दी।
![]() बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (File photo) |
केंद्र सरकार में सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग- NDA) की प्रमुख सहयोगी जनता दल यूनाइटेड (जदयू - JDU) के शीर्ष नेता नीतीश कुमार (Nitish Kumar) से एक दिन पहले संसद में केंद्र सरकार द्वारा बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने के संबंध में दिए बयान के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने भेदभरी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, ‘सब कुछ धीरे-धीरे जान जाइएगा।’
बिहार विधानसभा परिसर में मीडियाकर्मियों के इस संबंध में पूछे गए सवालों के जवाब में केवल इतना कहकर बिहार के सीएम अपनी मुस्कान बिखेरते और मीडियाकर्मियों की भीड़ की ओर हाथ हिलाते हुए सदन भवन में प्रवेश कर गए।
उल्लेखनीय है कि लोकसभा चुनावों के बाद भाजपा बहुमत से चूक गई और सहयोगी दलों पर निर्भर हो गयी है। जदयू ने पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में बिहार को विशेष दर्जा देने की मांग को लेकर एक नया प्रस्ताव पारित किया था।
केंद्र सरकार में JDU के दो मंत्री हैं और पार्टी के नेताओं ने इस बात पर जोर दिया कि प्रस्ताव में ‘विशेष पैकेज और अन्य प्रकार की सहायता’ की भी बात कही गई है और बिहार को नरेन्द्र मोदी सरकार से अभी भी बहुत कुछ मिल सकता है। हालांकि, राज्य में विपक्षी नेताओं को लगता है कि बिहार को ‘धोखा’ दिया गया है।
लालू ने नीतीश से मांगा इस्तीफा
नीतीश के कट्टर प्रतिद्वंद्वी और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) अध्यक्ष लालू प्रसाद (Lalu Prasad Yadav) का मानना है कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने से केंद्र सरकार के इनकार के बाद जदयू प्रमुख को इस्तीफा दे देना चाहिए।
विपक्ष के ‘इंडिया’ गठबंधन के गठन में शुरुआती दौर में अहम भूमिका निभाने वाले नीतीश ने इस साल जनवरी में भाजपा के नेतृत्व वाले राजग में लौटने के पूर्व राजद के नेतृत्व वाले विपक्षी ‘महागठबंधन’ से नाता तोड़ लिया था।
लोकसभा में मानसून सत्र के पहले दिन एक लिखित जवाब में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने सोमवार को कहा था कि अतीत में राष्ट्रीय विकास परिषद (एनडीसी - NDC) ने कुछ राज्यों को विशेष श्रेणी का दर्जा दिया है। चौधरी ने कहा था, ‘बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने का मामला उचित नहीं है।’
मंत्री ने कहा कि इन राज्यों में कुछ ऐसी विशेषताएं थीं जिन पर विशेष ध्यान देने की जरूरत थी। उन्होंने कहा कि इनमें पर्वतीय और दुर्गम भूभाग, कम जनसंख्या घनत्व या आदिवासी जनसंख्या की बड़ी हिस्सेदारी, पड़ोसी देशों के साथ सीमाओं पर रणनीतिक स्थान, आर्थिक और बुनियादी संरचना के लिहाज से पिछड़ापन और राज्य के वित्त की अलाभकारी प्रकृति शामिल रहीं। चौधरी ने कहा था कि फैसला उक्त सूचीबद्ध सभी कारकों और किसी राज्य की विशिष्ट स्थिति के आकलन के आधार पर लिया गया था।
उन्होंने कहा था, ‘पूर्व में विशेष श्रेणी के दर्जे के बिहार के अनुरोध पर एक अंतर-मंत्रालयी समूह (आईएमजी) द्वारा विचार किया गया था, जिसने 30 मार्च 2012 को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। आईएमजी ने यह निष्कर्ष निकाला था कि एनडीसी के मौजूदा मानदंडों के आधार पर बिहार के लिए विशेष श्रेणी के दर्जे का मामला नहीं बनता है।’
विशेष राज्य के दर्जे की मांग 2000 में उठी थी सबसे पहले
वर्ष 2012 में कांग्रेस नीत संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग - UPA) सरकार केंद्र में थी। बिहार के लिए विशेष दर्जे की मांग सबसे पहले 2000 में उठी जब झारखंड के निर्माण के बाद राज्य में खनिज समृद्ध और अपेक्षाकृत अधिक शहरीकृत और औद्योगिक क्षेत्र नये राज्य के हिस्से में चले गए।
हालांकि यह मांग तब और अधिक तीव्र हो गई जब केंद्र में संप्रग सरकार सत्तासीन थी, नीतीश कुमार ने 2010 में इसको लेकर बड़े पैमाने पर हस्ताक्षर अभियान चलाया था और राज्य को विशेष दर्जा देने वाली ‘किसी भी सरकार’ को समर्थन देने की घोषणा की थी।
| Tweet![]() |