जानी मानी लेखिका नीलम प्रभा द्वारा काव्य संग्रह 'सुबह' का अनावरण
हिंदी की सम्मानित कवयित्री नीलम प्रभा ने हाल ही अपने बहु प्रत्याशित और प्रतीक्षित काव्य संग्रह सुबह का लोकार्पण किया।
लेखिका नीलम प्रभा द्वारा काव्य संग्रह 'सुबह' का अनावरण (फाइल फोटो) |
गुरुकुल प्रकाशन द्वारा प्रकाशित यह किताब सुबह के सत्व और जीवन में उसके महत्त्व की बात करती है।
सुबह के पहले भी कवयित्री नीलम प्रभा के हाथों ने कई किताबों को जन्म दिया है जिनमें 'अश्वत्थ' (जिसका अर्थ है - पीपल), नाना प्रार्थनाओं का हरा- भरा सुरीला गुलदस्ता पहली किताब है और जो बताती है कि प्रार्थना ईश यानि भगवान की ही नहीं की जाती बल्कि प्रकृति, स्वदेश, त्योहारों और रिश्तों की भी की जाती है, इसीलिए यह धार्मिक समभाव और भाषाओं का संगम दर्शाती है, साथ ही अपने नाम 'अश्वत्थ' को सार्थक करती है जिसका अर्थ है - पीपल ! दीर्घायु वृक्ष जो जो ज्ञान देता है।
अश्वत्थ के बाद आदिकाल से आधुनिक काल और अब तक की हिंदी कविताओं के तीन खंडों में संपादित संकलन ने 'अविगत' नाम से जीवन पाया। इसके बाद विश्वस्तरीय कहानियों का चयन कर 'कथावली' के सात खंडों में उन्हें निबद्ध किया।
नीलम प्रभा के निरंतर चल रहे काव्य यज्ञ का शुभकर फल है ये सुबह। पौ यानि सुबह की पहली किरण सिर्फ़ फटती नहीं, हमें जीने का सलीका भी सिखाती है, सुबह मां है, सहचर है, मुर्शिद है, मुरीद है, कथा है, संवाद है...और भी बहुत कुछ है तो सुबह से मिलें, बात करें; सुबह यही एक बात बार- बार कहती है।
नीलम प्रभा से जब यह पूछा गया कि सुबह को रचने की प्रेरणा कहां से मिली, तो उन्होंने कहा, 'रीडर डाइजेस्ट के हिंदी संस्करण सर्वोत्तम में छपे एक अंश ने- काश सुबह को भी पानी की तरह बोतलों में बंद कर दुकानों में रखा जा सकता तो वे सब उसे खरीद सकते जो सुबह से कभी मिल नहीं पाते। मैंने सोचा कि मैं बोतलों में नहीं पर किताब में तो उसे बांध सकती हूं, फिर वे सुबह को खरीद पाएंगे।'
नीलम प्रभा को कलम विरासत में मिली है। साहित्य प्रेमी परिवार में इनका जन्म हुआ जहां लिखने और पढ़ने की परंपरा अस्सी 90 वर्षों से कायम है इसलिए कलम के बगैर उनका अस्तित्व ही नहीं, ऐसा वे कहती हैं।
"सुबह को ही चुनने का कोई और विशेष कारण भी है क्या?" इस प्रश्न पर उन्होंने कहा कि बचपन से उन्हें तड़के उठने की लत भी परिवार से लगी और पल- पल बदलते प्रकृति वेश के रहस्य ने उन्हें सदा सम्मोहित किया है।
यह उनकी सर्वथा अपनी पहली कृति है, साथ ही उनकी निर्विवाद अपवाद मानी जाने वाली प्रतिभा का एक खूबसूरत दृष्टांत भी जो पाठकों को सहज ही अपनी ओर खींच पाने के आग्रह से भरा है।
गुरुकुल प्रकाशन को, जो चुनिंदा और बेहतरीन प्रकाशित करने के लिए जाना जाता है, इस बात का गर्व है कि बेमिसाल कविताओं के इस संग्रह को निकालने का मौका और अधिकार उसे मिला। उसको यकीन है कि सुबह से पाठकों का सीधा संवाद होगा क्योंकि अरसे बाद 'सुबह' सी एक किताब सुबह की तरह सबके सामने आई है जो हिंदी काव्य जगत को बहुत कुछ देकर जाएगी; बेहद अमूल्य और अतुल्य !
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