लोक आस्था के महापर्व छठ को लेकर पटना सहित पूरा बिहार भगवान भास्कर की भक्ति में सराबोर हो गया है।
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चार दिवसीय इस अनुष्ठान के दूसरे दिन शनिवार की शाम व्रतधारी खरना करेंगे, जबकि रविवार की शाम व्रती गंगा के तट और विभिन्न जलाशयों में पहुंचकर अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य अर्पित करेंगे।
छठ पर्व को लेकर पूरा बिहार भक्तिमय हो गया है। मुहल्लों से लेकर गंगा तटों तक, यानी पूरे इलाके में छठ पूजा के पारंपरिक गीत गूंज रहे हैं। राजधानी पटना की सभी सड़कें पूरी तरह सज गई हैं, जबकि गंगा घाटों में सुरक्षा की पुख्ता व्यवस्था की गई है।
राजधानी के मुख्य सड़कों से लेकर गलियों तक की सफाई की गई है। आम से लेकर खास तक के लोगों ने सड़कों की सफाई में व्यस्त हैं। हर कोई छठ पर्व में हाथ बंटाना चाह रहा है। पटना में कई पूजा समितियों द्वारा विभिन्न स्थानों पर भगवान भास्कर की मूर्ति स्थापित की गई है। पूरा माहौल छठमय हो उठा है। कई स्थानों पर तोरण द्वारा लगाए गए हैं तो कई पूजा समितियों द्वारा लाइटिंग की व्यवस्था की गई है।
पटना में जिला प्रशासन ने व्रतियों के लिए गंगा के करीब 100 घाटों और 90 तालाब तथा पार्कों में व्रतधारियों के लिए भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के लिए व्यवस्था की है। सभी घाटों पर सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध किए गए है। किसी भी घटना की आशंका को लेकर भी इन घाटों पर पुलिस की तैनाती की गई है। औरंगाबाद के देव, पटना के उलार सूर्य मंदिर, पुण्यार्क सूर्य मंदिर परिसर में हजारों लोग सूर्योपासना के लिए पहुंच चुके हैं।
पुलिस मुख्यालय के मुताबिक सभी जगहों पर पुलिस बल और दंडाधिकारियों की तैनाती की गई है। पुलिस मुख्यलय की ओर से जिलों को 24 हजार से अधिक अतिरिक्त पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई है। इनमे सात कंपनी शामिल हैं, जिन्हें संवेदनशील जिलों में भेजा गया है।
इधर पटना के जिलाधिकारी डॉ चंद्रशेखर सिंह ने बताया कि पटना के गंगा घाटों पर सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध किए गए हैं। उन्होंने बताया कि 13 मॉडल घाटों का निर्माण कराया गया है। इसके अलावा शहर की यातायात व्यवस्था में भी परिवर्तन किया जाता है। घाटों पर दंडाधिाकरियों की तैनाती की है तथा पुलिसकर्मियों की प्रतिनियुक्ति की गई है। इधर, मुजफ्फरपुर, सासाराम, मुंगेर, खगड़िया, भागलपुर सहित सभी सभी जिला मुख्यालयों से लेकर के गांव तक लोग छठ पर्व की भक्ति में डूबे हैं।
उल्लेखनीय है कि शनिवार की शाम व्रतियों ने भगवान भास्कर की अराधना कर और खरना करेंगे और उसके बाद व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला उपवास प्रारंभ हो जाएगा। पर्व के तीसरे दिन रविवार की शाम छठव्रती नदी, तालाबों सहित विभिन्न जलाशयों में पहुंचकर अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य अर्पित करेंगे। पर्व के चौथे दिन यानी सोमवार को उदीयमान सूर्य के अर्घ्य देने के बाद ही श्रद्धालुओं का व्रत समाप्त हो जाएगा। इसके बाद व्रती अन्न-जल ग्रहण कर ’पारण’ करेंगे।
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