लोजपा के अस्तित्व को बचाने के लिए लिया गया बड़ा फैसला : पारस

Last Updated 14 Jun 2021 05:02:00 PM IST

लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) में टूट के बाद स्व. रामविलास पासवान के भाई पशुपति कुमार पारस ने कहा कि उन्होंने पार्टी तोड़ी नहीं बल्कि उसके अस्तित्व को बचाने के लिए मजबूरी में 6 में से 5 सांसदों ने बड़ा फैसला लिया है।


पशुपति कुमार पारस

श्री पारस ने सोमवार को पत्रकारों से बातचीत में कहा कि रविवार को देर शाम लोजपा के 6 में से 5 सांसदों की बैठक हुई जिसमें उन्हें सर्वसम्मति से संसदीय दल का नेता चुना गया। इसके बाद सभी सांसद रात 8:30 बजे लोकसभा अध्यक्ष से मिले और उन्हें पत्र सौंपकर नए नेता चुने जाने के बारे में जानकारी दी। स्व. रामविलास पासवान के छोटे भाई ने कहा कि उन्होंने पार्टी तोड़ी नहीं बल्कि बचाई है। यह पार्टी के अस्तित्व को बचाने के लिए मजबूरी में लिया गया फैसला है।

लोजपा नेता ने कहा, हम तीनों (रामविलास पासवान, पशुपति कुमार पारस, रामचंद्र पासवान) भाइयों में बहुत प्रेम था यह पूरी दुनिया जानती है। 28 नवंबर 2000 में लोजपा का गठन बड़े भाई रामविलास पासवान ने किया था तब से पार्टी बहुत अच्छे ढंग से चल रही थी। कहीं किसी को कोई शिकवा शिकायत नहीं थी लेकिन मेरा दुर्भाज्ञ था कि मेरे बड़े भाई और छोटे भाई दोनों हमको छोड़कर चले गए। मैं अकेला रह गया। बहुत अकेला महसूस कर रहा हूं।

चिराग ने पार्टी कार्यकर्ताओं की अनदेखी की

श्री पारस ने कहा कि लोजपा की बागडोर जिनके हाथ में गयी उन्होंने पार्टी के 99 प्रतिशत कार्यकर्ता, सांसद, और विधायक की अनदेखी कर मनमाने ढंग से फैसला लिया। उन्होंने कहा कि पार्टी के 99 प्रतिशत लोगों की इच्छा थी कि जैसे 2014 के लोकसभा चुनाव में लोजपा राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) का हिस्सा बनी थी उसी तरह वर्ष 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में भी लोजपा राजग का हिस्सा बनकर चुनाव लड़े लेकिन इसकी अनदेखी कर राजग से गठबंधन तोड़ दिया गया।

लोजपा बिल्कुल समाप्ति के कगार पर पहुंच गई थी

लोजपा नेता ने कहा कि इसके बाद दूसरे ढंग से ही चुनाव लड़ा गया। एक ही गठबंधन में शामिल दो दलों में से एक से दोस्ती और दूसरे से नफरत। इसके कारण बिहार में राजग तो कमजोर हुआ ही लोजपा भी बिल्कुल समाप्ति के कगार पर पहुंच गई। उन्होंने कहा कि पिछले 6 महीने से पार्टी के 6 में से 5 सांसदों की इच्छा थी कि किसी तरह पार्टी के अस्तित्व को बचाया जाए।

रामविलास पासवान के विचारों को जिंदा रखने के लिए लोजपा के अस्तित्व को बचाना जरूरी था

श्री पारस ने कहा कि स्व. रामविलास पासवान की आत्मा की शांति और उनके विचारों को जिंदा रखने के लिए लोजपा को के अस्तित्व को बचाना जरूरी था। वह जब तक जीवित हैं तब तक पार्टी पर आंच नहीं आने देंगे। उन्होंने कहा कि देश के दलित, गरीब, मजदूर और अगड़ी जाति के भी जो गरीब सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक दृष्टिकोण से कमजोर हैं स्व.रामविलास पासवान उनके उत्थान की बात करते थे। इसलिए उन्होंने दलित सेना और लोजपा का गठन किया था लेकिन पार्टी में कुछ असामाजिक तत्व घुस आए और उन्होंने बिहार में गठबंधन तोड़ कर नुकसान पहुंचाया।

लोजपा नेता ने कहा कि दलित, शोषित और समाज में जितने भी गरीब लोग हैं वह उनकी सेवा के लिए 24 घंटे तैयार हैं। उन्होंने कहा कि आज वह पूरे देश के वैसे सभी लोगों से माफी के साथ आग्रह करते हैं वे फिर से लोजपा में वापस लौट आएं जो किसी कारणवश पार्टी को छोड़कर चले गए थे।

चिराग पासवान से सब नाराज

श्री पारस ने एक सवाल के जवाब में कहा कि लोजपा सांसद चिराग पासवान से उन्हें कोई शिकवा शिकायत नहीं है। वह परिवार के सदस्य और उनके भतीजे भी हैं। वह पार्टी में रहे और स्वर्गीय पासवान के सपने को साकार करने के लिए काम करें। उन्होंने कहा कि श्री चिराग पासवान जिस तरह से पार्टी को चला रहे थे उससे सब नाराज थे।

लोजपा नेता ने कहा कि उनकी पार्टी राजग के साथ थी आगे भी रहेगी और गठबंधन धर्म का पूरी तरह पालन करेगी। उन्होंने कहा कि जहां तक बिहार का सवाल है वह श्री नीतीश कुमार को अच्छा नेता और विकास पुरुष मानते हैं।

लोजपा का जदयू में विलय नहीं होगा

श्री पारस से जब यह पूछा गया कि क्या उनकी पार्टी का जनता दल यूनाइटेड (जदयू) में विलय होगा तब उन्होंने कहा कि लोजपा का पूरे देश में संगठन है और बिहार में उसका बहुत मजबूत जनाधार है। इसलिए इसका कोई सवाल ही नहीं उठता है।

वार्ता
नई दिल्ली


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