मुल्लापेरियार बांध मामले में हमें कोई नुक
Last Updated 19 Feb 2010 05:15:50 PM IST
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चेन्नई। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.करुणानिधि ने शुक्रवार को कहा कि मुल्लापेरियार बांध मामले में राज्य को न तो कोई नुकसान हुआ है और न ही केरल को कोई फायदा हुआ है।
करुणानिधि की यह प्रतिक्रिया सर्वोच्च न्यायालय द्वारा इस मामले में भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश एएस आनंद की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय समिति गठित करने के निर्णय के बाद आई।
करुणानिधि ने कहा कि अनुच्छेद 131 के तहत सर्वोच्च न्यायालय ने पांच सदस्यीय समिति गठित की है, जो बांध की सुरक्षा और इसकी भंडारण क्षमता का विश्लेषण करके न्यायालय में छह महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट पेश करेगी।
उन्होंने कहा कि तमिलनाडु का न तो कुछ नुकसान हुआ है और न ही यह फैसला केरल के पक्ष में है।
सर्वोच्च न्यायालय के फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए केरल के मुख्यमंत्री वीएस अच्युतानंदन ने गुरुवार को कहा था, ‘हम इस फैसले से खुश हैं। हम समिति के सामने और तथ्य रखकर साबित करेंगे कि बांध असुरक्षित है।‘
केरल और तमिलनाडु के बीच इस बांध का विवाद बहुत पुराना है। इसका निर्माण त्रावनकोर के महाराजा और ब्रिटिश प्रशासन के बीच 1886 के एक समझौते के तहत हुआ था।
यह बांध केरल के पेरियार नदी पर है, जबकि ब्रिटिश शासनकाल के दौरान हुए 999 साल के पट्टा अनुबंध के तहत यह तमिलनाडु द्वारा संचालित होता है।
सुरक्षा को आधार बनाकर केरल नया बांध बनाने की मांग कर चुका है जबकि तमिलनाडु ने इसका विरोध करते हुए कहा है कि इसकी भंडारण क्षमता बढ़ाए जाने की जरूरत है।
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