अफगानिस्तान में अपनी मंजिल नहीं पा सका नाट

Last Updated 28 Jan 2010 08:50:06 PM IST


बर्लिन। जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल ने स्वीकार किया है कि अमेरिका नीत नाटो बल अफगानिस्तान में सात वर्ष पहले सैन्य अभियान शुरू करने के बावजूद अब तक अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में नाकाम रहा है। लंदन में आज अफगानिस्तान को लेकर भारत समेत 60 देशों की सहभागिता वाला महत्वपूर्ण सम्मेलन होने के बीच जर्मन चांसलर का यह बयान महत्वपूर्ण माना जा रहा है। मर्केल ने जर्मनी की संसद के निचले सदन बनदेस्तांग में मंगलवार को कहा कि अफगानिस्तान में कुछ प्रगति हुई है लेकिन इस दौरान अनेक झटके भी लगे हैं। उन्होंने कहा कि इसके बावजूद अफगानिस्तान में जारी अभियान न सिर्फ जर्मनी बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय के भी हित में है। मर्केल ने अफगानिस्तान को लेकर अपनी सरकार की नई नीति पेश करते हुए कहा ’’यह सच है कि यह अभियान काफी लम्बा खिंच रहा है और यह उस हद तक मुश्किल हो गया है जितना हमने शुरूआत में सोचा नहीं था।’’ उन्होंने कहा कि लोगों की जिंदगी से इसकी कीमत चुकाना वाकई बहुत दुखदायी है। जर्मन चांसलर ने स्मरण करते हुए कहा कि वर्ष 2001 में अफगानिस्तान में जर्मन सेना भेजने का फैसला बेहद मुश्किल भरा था। अफगानिस्तान में 500 अतिरिक्त सैनिक भेजने के अपने सरकार के फैसले का बचाव करते हुए मर्केल ने कहा कि यह कदम अफगानिस्तान से जर्मन फौजों की पूरी तरह वापसी का ’परिप्रेक्ष्य’ तैयार करने के मकसद से उठाया गया था। बहरहाल, उन्होंने अफगानिस्तान से जर्मन सेनाओं की वापसी की तारीख तय करने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि ऐसा करना ’उलटा और गलत’ होगा।



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