मीडिया की जिम्मेदारी और बढ़ी :सहाराश्री
Last Updated 17 Feb 2010 01:01:09 AM IST
|
लखनऊ। आज के हालात में जब देश में अलगाववादी और आतंकवादी ताकतें तेजी से अपने पैर पसार रही हैं, मीडिया की जिम्मेदारियां और बढ़ गयी हैं। यह उद् गार सहारा इंडिया परिवार के प्रबंध कार्यकर्ता एवं चेयरमैन सहाराश्री श्री सुब्रत राय सहारा ने राष्ट्रीय सहारा, लखनऊ की 18वीं वर्षगांठ के अवसर पर भेजे गये अपने संदेश में व्यक्त किये। इस उपलक्ष्य में सहारा इंडिया टावर के तृतीय तल पर आयोजित भव्य समारोह में राष्ट्रीय सहारा कर्त्तव्ययोगियों को सहाराश्री का संदेश पढ़कर सुनाया गया।
सहाराश्री ने अपने संदेश में कहा कि राष्ट्रीय सहारा का प्रकाशन सहारा इंडिया परिवार का एक भावनात्मक उद्देश्य है जो राष्ट्रीयता, कर्त्तव्य और समर्पण पर आधारित है। राष्ट्रीय सहारा अपने सामाजिक और राष्ट्रीय दायित्वों को पूरा करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान कर रहा है, लेकिन देश के बदलते हालात में राष्ट्रीय सहारा को अपने दायित्वों के प्रति और अधिक सचेत रहते हुए राष्ट्र निर्माण में योगदान करना होगा। इस अवसर पर सहारा इंडिया परिवार की उप प्रबंध कार्यकर्ता श्रीमती स्वप्ना राय, उप प्रबंध कार्यकर्ता आ॓पी श्रीवास्तव, एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर वर्कर विनीत मित्तल, एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर वर्कर डीके श्रीवास्तव के संदेश भी पढ़कर सुनाये गये।
समारोह में विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद मशहूर शायर मुनव्वर राना ने अपनी बेहतरीन नज्मे सुनाकर लोगों को भावविभोर कर दिया। उन्होंने विभाजन के बाद उस पार गये लोगों की बात कुछ इस तरह कही ‘मुहाजिर हैं मगर हम एक दुनिया छोड़ आएं हैं, तुम्हारे पास जितना है हम उतना छोड़ आए हैं' मुनव्वर राना ने सियासत की फितरत को कुछ इस तरह बयां किया ‘तवायफ की तरह अपने गलत कामों के चेहरे पर, हुकूमत मंदिर और मस्जिद का पर्दा डाल देती है' सियासत दां भले राजनीतिक लाभ के लिए हिन्दी और उर्दू में फर्क पैदा कर समाज में फूट डालें पर मुनव्वर राना हिन्दी और उर्दू को सगी बहनें बताते हैं और कहते हैं ‘लिपट जाता हूं मां से और मौसी मुस्कराती है, मैं उर्दू में गजल कहता हूं तो हिन्दी मुस्कराती है।' इस अवसर पर समारोह में उपस्थित मशहूर शायर तारिक कमर ने ‘मेरे तो दर्द भी औरों के काम आते हैं, मैं रो पड़ूं तो कई लोग मुस्कराते हैं' सुनाकर उन लोगों पर तंज किया जो दूसरों की बदहाली पर हंसते हैं। उन्होंने अपने शेर ‘यहां मेरा कोई अपना नहीं है, चलो अच्छा है कुछ खतरा नहीं है' और ‘सच बोलें तो घर में पत्थर आते हैं, झूठ कहें तो खुद पत्थर हो जाते हैं।' पर भी वाहवाही लूटी।
सहारा इण्डिया मीडिया के एडिटर एवं न्यूज डायरेक्टर उपेन्द्र राय ने अपने सम्बोधन में कहा कि मौजूदा दौर में आम जन की समस्याओं के हल में मीडिया ने सराहनीय भूमिका निभाई है। पत्रकारों को चाहिए कि वे समाज के अन्तिम छोर पर बैठे व्यक्ति की बात सुनें और उसे व्यवस्था तक पहुंचायें। समारोह को राष्ट्रीय सहारा ‘उर्दू रोजनामा' के समूह सम्पादक अजीज बर्नी ने भी सम्बोधित किया। समूह सम्पादक वेब पोर्टल स्वतंत्र मिश्र व राष्ट्रीय सहारा, लखनऊ के सम्पादकीय प्रमुख मनोज तोमर ने अतिथियों का स्वागत किया, जबकि राष्ट्रीय सहारा लखनऊ के यूनिट हेड अमर सिंह ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
इस अवसर पर सहारा इण्डिया परिवार के उप निदेशक आई अहमद और उप निदेशक अब्दुल दबीर, राष्ट्रीय सहारा के समूह सम्पादक रणविजय सिंह, सहारा समय के प्रशासनिक प्रमुख सीबी सिंह, राष्ट्रीय सहारा के आल इण्डिया मार्केटिंग हेड जीएन सिंह, प्रशासनिक प्रमुख टीबी श्रीवास्तव, प्रसार प्रमुख डीएस श्रीवास्तव, एचआर हेड लोकेश शर्मा, राष्ट्रीय सहारा गोरखपुर के यूनिट हेड पीयूष बंका, पटना के मृदुल बाली व कानपुर के यूनिट हेड रमेश अवस्थी उपस्थित थे।
Tweet |