ठंड में दस हजार टन मछली हजम कर जाते हैं लोग
Last Updated 31 Jan 2010 04:38:53 PM IST
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देहरादून। उत्तराखण्ड में इस वर्ष पड़ी जबर्दस्त ठंड ने जहां आम जनजीवन को बेहाल कर दिया वहीं ठंड में मछली की खपत भी काफी बढ गयी और लोग प्रतिमाह दस हजार टन मछली हजम कर रहे है। लोगों द्वारा इतनी भारी मात्रा में मछलियों का सेवन करने से राज्य में करीब 6500 टन मछलियों का आयात किया जा रहा है।
उत्तराखण्ड राज्य में आम तौर पर सामान्य दिनों में जहां तीन हजार टन मछलियों की प्रति माह खपत होती है वहीं इस जाडे में ठंड बढने से मछलियों की खपत बढकर दस हजार टन प्रति माह हो गई।
राज्य के मत्स्य विभाग के संयुक्त निदेशक एस आर चन्याल ने बताया कि अकेले देहरादून में ही इन दिनों प्रति माह एक हजार से बारह सौ टन मछलियों की खपत हुई है जो सामान्य से काफी अधिक है।
उन्होंने कहा कि राज्य में पर्वतीय इलाका होने और अधिक ठंड पडने के चलते लोग इस मौसम में मछलियों का अधिक से अधिक सेवन करते हैं। मछलियों की कीमत जहां गर्मी के मौसम में 50 रूपये से 60 रूपये प्रति किलो होती है वहीं इस मौसम में मछलियां 100 से लेकर 120 रूपये प्रति किलो के हिसाब से दुकानदारों द्वारा बेची जा रही हैं और लोग लाइन लगाकर खरीद रहे हैं।
चन्याल ने बताया कि राज्य में एक आकलन के मुताबिक 90 प्रतिशत लोग मांसाहारी हैं और इसी के चलते मछलियों की खपत अधिक होती है। राज्य में मछली उत्पादन के लिए कई जलाशय हैं जहां से राज्य के लोगों को मछली की आपूर्ति की जाती है। इनमें से नानक सागर,धौरा बैगुल डुमरिया,बौर हरिरां प्रमुख हैं। इसके अतिरिक्त देहरादून,हरिद्वार तथा उधमसिंहनगर जिलों में अच्छी खासी संख्या में किसानों द्वारा मछली पालन किया जाता है और इन्हें बाजार में बेचा जाता है।
उन्होंने कहा कि राज्य में प्रति माह करीब 3500 टन मछलियों का उत्पादन किया जाता है तथा आंधप्रदेश और उत्तर प्रदेश से भी मछलियां मंगाई जाती हैं। इसके अतिरिक्त जरूरत पडने पर महाराष्ट्र तक से मछलियां यहां लाई जाती हैं।
चन्याल ने बताया कि ठंडे वातावरण में पैदा की जाने वाली मछलियों का निर्यात भी किया जाता है और इससे यहां के किसानों को अच्छी खासी आमदनी हो जाती है। ठंड के दिनों में लोग गर्मी का एहसास करने के लिए मछलियों का सेवन अधिक करते हैं। इन दिनों मीट की मांग अपेक्षाकृत कम रहती है। मछलियों में डोंगरा और मखनी मछली हरिदवार से मंगाई जाती है जबकि रूडकी में पैदा होने वाली सौल मछली को उत्तराखण्ड के लोग जाडों के दिनों में बडे ही शौक से खाते हैं।
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