सरसो का उत्पादन 4.5 फीसद घटेगा : उद्योग
Last Updated 09 Feb 2010 03:23:37 PM IST
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नयी दिल्ली। खाद्य तेल उद्योग के अनुसार इस बार बुवाई कम होने के कारण देश में सरसों उत्पादन वर्ष 2009-10 में करीब तीन लाख टन घटकर 59.2 लाख टन रह जाने की संभावना है।
उद्योग संगठन साल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिशन (एसईए) ने उत्पादक राज्यों के एक सर्वेक्षण के बाद यह अनुमान जारी किया है। एएईए के एक दल ने सर्वे रिपोर्ट में कहा कि रेपसीड और सरसों फसल का कुल क्षेत्रफल 64.36 लाख हेक्टेयर होगा जो वर्ष 2008-09 के 66.47 लाख हेक्टेयर से कम है।
एसईए के एक बयान के अनुसार पैंतीस सदस्यीय दल ने बुआई की स्थिति का सीधे जायजा लेने के राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात और हरियाणा का दौरा किया।
बयान में कहा गया है कि भारत में 2008-09 में 62 लाख टन रेपसीड़, सरसो का उत्पादन हुआ था जो अनुमानत: घटकर चालू वर्ष में 59.2 लाख टन रहेगा।
खाद्य तेल उद्योग ने कहा कि इस वर्ष ऊपज बेहतर यानी 9.2 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की होगी जो वर्ष 2008-09 में नौ क्विंटल प्रति हेक्टेयर थी। इस निगरानी दल के अनुसार सबसे अधिक उत्पादन राजस्थान में 27 लाख टन का होगा। दूसरे स्थान पर उत्तर प्रदेश रहेगा जहां उत्पादन अपेक्षाकृत कम यानी आठ लाख टन रहने की संभावना है।
हरियाणा और पंजाब में मिलकर उत्पादन 6.75 लाख टन, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में 8.30 लाख टन, गुजरात में 3.15 लाख टन और पश्चिम बंगाल में 2.6 लाख टन उत्पादन होने की संभावना है।
उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ को छोड़कर इस दल ने पाया कि अन्य प्रमुख रेपसीड और सरसों उत्पादक राज्यों में इस फसल का क्षेत्रफल इस वर्ष कम रहने की संभावना है।
राजस्थान में भी क्षेत्रफल घटकर 23.25 लाख हेक्टेयर रहने की उम्मीद है जो क्षेत्रफल वर्ष भर पहले 28.03 लाख हेक्टेयर था। फिर भी राजस्थान का क्षेत्रफल बाकी राज्यों की तुलना में कहीं अधिक है।
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