अजमेर के ‘धरती पकड़’ हैं मुन्ना मारवाड़ी
मुन्ना मारवाड़ी को अजमेर (राजस्थान) का ‘धरती पकड़’ कहा जा सकता है. यह व्यक्ति इस बार अपने जीवन का 12वां चुनाव लड़ रहा है.
![]() मुन्ना मारवाड़ी (फाइल फोटो) |
चुनाव लड़ने के जुनून के कारण ही यह अमृतसर (पंजाब) से लोकसभा तथा डीग (भरतपुर) से विधानसभा का उप चुनाव भी लड़ चुका है.
इतना ही नहीं अजमेर के इस नेता ने सबसे अधिक वोटों से हारने का गिनीज बुक रिकॉर्ड भी अपने नाम कर रखा है.
उल्लेखनीय है ‘धरती पकड़’, हर चुनाव लड़ने के मामले में देशभर का मुहावरा बन चुके हैं. कई चुनावों की रंगत देख चुके मुन्ना मारवाड़ी ने बताया कि अब तक वह सात चुनाव तथा पांच उप चुनाव के मैदान में अपना भाग्य आजमा चुके हैं. वह भले ही कभी नहीं जीते लेकिन वह लोकतांत्रिक अधिकारों का उपयोग करते हैं.
चुनाव लड़ने का सभी को अधिकार है, इसी के तहत वह चुनाव लड़ते हैं. भले ही संसाधन नहीं है, पैसा नहीं है. मुन्ना बीपीएल हैं, अब वृद्धावस्था पेंशन भी ले रहे हैं.
उनका मानना है अपनी इस आदत से वह लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा करते हैं. मुन्ना मारवाड़ी 1980 में अजमेर पश्चिम विधानसभा क्षेत्र, 1985 में डीग, आमेर और किशनगढ़ उपचुनाव, 1985 में लोकसभा चुनाव अमृतसर पंजाब, 1987 में उप चुनाव लोकसभा पाली, 1989 में लोकसभा अजमेर, 1991 में लोकसभा अजमेर, 1992 में मांडलगढ़ विधानसभा उपचुनाव, 1998 में विधानसभा अजमेर, 2003 में विधानसभा अजमेर तथा अब 2013 में अजमेर उत्तर विधानसभा क्षेत्र से चुनावी मैदान हैं. इस बार इनके पास आप पार्टी का सिंबल है.
मुन्ना मारवाड़ी 1985 में डीग (भरतपुर) विधानसभा उप चुनाव में भरतपुर राजघराने की निर्दलीय प्रत्याशी दीपा कुमारी से भारी मतों से हारे. दीपा कुमारी ने 44 हजार 139 वोट लिए जबकि मुन्ना को महज 687 वोट मिले. दीपा कुमारी को इस चुनाव में 97.13 प्रतिशत वोट मिले थे. इसे बड़ी चुनावी हार के रूप में गिनीज बुक में दर्ज किया गया.
वहीं मुन्ना ने अमृतसर में 1985 में लोकसभा चुनाव में रिकॉर्ड करीब 54 हजार वोट हासिल किए. कारण रहा कि तब वहां लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक ही समय पर हुए थे. विधानसभा चुनाव वाले एक प्रत्याशी और मुन्ना का चुनाव चिन्ह एक ही था. इस चुनाव में मुन्ना का अब तक चुनावी खर्च जीरो है.
मुन्ना ने बताया कि वह प्रचार एक-दो दिन में शुरू करेंगे. वह नामांकन के वक्त 10 हजार जमानत राशि तथा 100 रुपए स्टांप के खर्च किए हैं. जब पहला विधानसभा चुनाव लड़ा तब जमानत राशि 250 रुपए थी, जो अब 10 हजार है. जमानत जब्त होने से अब तक हजारों रुपए सरकार को दे चुके हैं.
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