राम जन्मस्थान पर मंदिर के लिए 1528 से 22 जनवरी 2024 तक की संघर्ष गाथा

Last Updated 22 Jan 2024 10:14:21 AM IST

आखिरकार, वह ऐतिहासिक दिन आ ही गया, जिसका लगभग 500 सालों से देश की जनता को बेसब्री से इंतजार था। जानें पता नहीं कितने लोगों ने इस संघर्ष को जारी रखने के लिए अपनी जान तक गंवाईं। तो आईए जानते हैं राम जन्मस्थान पर मंदिर के लिए 500 साल चले जनसंघर्ष का पूरा सफर।


अयोध्या संघर्ष गाथा - The story of struggle for the temple at Ram  birthplace from 1528 to 22 January 2024

1528 : मुगल बादशाह बाबर के कमांडर मीर बाकी ने राम मंदिर तोड़कर उस पर बाबरी मस्जिद का निर्माण कराया।

1885 : महंत रघुबीर दास ने फैजाबाद जिला अदालत में याचिका दायर कर विवादित राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद ढांचे के बाहर एक छतरी बनाने की अनुमति मांगी। कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी।

1949 : विवादित ढांचे के बाहर केंद्रीय गुंबद के नीचे रामलला की मूर्ति रखी गई।

1950 : गोपाल सिमला विशारद ने रामलला की मूर्ति की पूजा के अधिकार के लिए फैजाबाद जिला अदालत में मुकदमा दायर किया।

1 फरवरी, 1986 : स्थानीय अदालत ने सरकार को हिंदू उपासकों के लिए स्थल खोलने का आदेश दिया।

14 अगस्त, 1989 : इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने विवादित ढांचे के संबंध में यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया।

6 दिसंबर, 1992 : राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद ढांचा ध्वस्त किया गया।

3 अप्रैल, 1993 : विवादित क्षेत्र में केंद्र द्वारा भूमि अधिग्रहण के लिए ‘अयोध्या में निश्चित क्षेत्र का अधिग्रहण अधिनियम‘ पारित किया गया।

1993 : अधिनियम के विभिन्न पहलुओं को चुनौती देते हुए विभिन्न रिट याचिकाएं, जिनमें इस्माइल फारूकी की याचिका भी शामिल थी, इलाहाबाद उच्च न्यायालय में दायर की गई।

24 अक्टूबर, 1994 : ऐतिहासिक इस्माइल फारुकी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मस्जिद इस्लाम का अभिन्न अंग नहीं है।

अप्रैल 2002 : सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्धारित करने के लिए सुनवाई शुरू की कि विवादित स्थल का मालिक कौन है।

13 मार्च, 2003 : असलम उर्फ  भूरे मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा, अधिग्रहीत भूमि पर किसी भी प्रकार की धार्मिंक गतिविधि की अनुमति नहीं है।

30 सितंबर, 2010 : उच्च न्यायालय ने 2:1 के बहुमत से विवादित क्षेत्र को सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला के बीच बांटने का फैसला सुनाया।

9 मई, 2011 : सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या भूमि विवाद पर हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी।

26 फरवरी, 2016 : सुब्रमण्यम स्वामी ने विवादित स्थल पर राम मंदिर के निर्माण की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की।

1 दिसंबर, 2017 : 32 नागरिक अधिकार कार्यकर्ताओं ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 2010 के फैसले को चुनौती देते हुए याचिका दायर की।

8 फरवरी, 2018 : सुप्रीम कोर्ट ने सिविल अपीलों पर सुनवाई शुरू की।

14 मार्च, 2018 : सुप्रीम कोर्ट ने मामले में पक्षकार के रूप में हस्तक्षेप करने की मांग करने वाली स्वामी सहित सभी अंतरिम याचिकाओं को खारिज कर दिया।

6 अप्रैल, 2018 : राजीव धवन ने 1994 के फैसले की टिप्पणियों पर पुनर्विचार के मुद्दे को बड़ी पीठ के पास भेजने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की।

जनवरी 2019 : सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता में पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ का गठन किया।

9 नवंबर, 2019: सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया, लगभग 70 साल के विवाद को समाप्त किया, और आदेश दिया कि विवादित 2.77 एकड़ भूमि को राम मंदिर के निर्माण के लिए भारत सरकार द्वारा स्थापित किए जाने वाले ट्रस्ट को हस्तांतरित कर दिया जाए। शीर्ष अदालत ने मस्जिद निर्माण के लिए मुसलमानों को अयोध्या में पांच एकड़ जमीन आवंटित करने का भी आदेश दिया।

5 अगस्त 2020: भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर निर्माण की आधारशिला रखी।

22 जनवरी 2024 :  इस शुभ तारीख पर पीएम मोदी ने राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा की। 

सुरेन्द्र देशवाल
नई दिल्ली


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