मध्यप्रदेश की कुछ विधानसभा सीटों पर अलग-अलग राजनीतिक पृष्ठभूमि वाले एक ही परिवार के सदस्यों के बीच चुनावी लड़ाई देखने को मिल सकती है।
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सत्तारूढ़ भाजपा और विपक्षी कांग्रेस ने रिश्तेदारों को टिकट देकर सत्ता की तलाश में एक-दूसरे से मुकाबले में खड़ा कर दिया है।
प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों के लिए 17 नवंबर को होने वाले चुनाव में भाई, चाचा-भतीजा, देवर-भाभी, समधि आदि निकट एवं दूर के रिश्तेदार आमने-सामने खड़े हो गए हैं।
पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और नर्मदापुरम से भाजपा उम्मीदवार सीताशरण शर्मा का मुकाबला उनके भाई गिरिजाशंकर शर्मा से है, जो कांग्रेस के उम्मीदवार हैं।
भाजपा के पूर्व विधायक गिरिजाशंकर शर्मा ने हाल ही में अपनी पार्टी बदल दी और सत्तारूढ़ दल द्वारा टिकट देने से इनकार करने के बाद कांग्रेस में शामिल हो गए।
सागर विधानसभा सीट पर कांग्रेस की निधि सुनील जैन का मुकाबला अपने जेठ और मौजूदा भाजपा विधायक शैलेन्द्र जैन से है। निधि जैन, शैलेंद्र जैन के छोटे भाई और देवरी से कांग्रेस के पूर्व विधायक सुनील जैन की पत्नी हैं।
इसी तरह रीवा जिले के देवतालाब में कांग्रेस ने पद्मेश गौतम को भाजपा विधायक और वर्तमान विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम के खिलाफ मैदान में उतारा है, गिरीश गौतम पद्मेश के चाचा हैं। पद्मेश गौतम ने इससे पहले पंचायत चुनाव में मौजूदा विधायक के बेटे राहुल गौतम को हराया था।
एक अन्य अंतर-पारिवारिक चुनावी लड़ाई में मौजूदा भाजपा विधायक और पार्टी उम्मीदवार संजय शाह हरदा जिले के टिमरनी में अपने भतीजे कांग्रेस के अभिजीत शाह के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं। अभिजीत शाह दूसरी बार अपने चाचा के खिलाफ मैदान में हैं।
ग्वालियर जिले के डबरा में भाजपा की पूर्व राज्य मंत्री इमरती देवी अपने रिश्तेदार और मौजूदा कांग्रेस विधायक सुरेश राजे से मुकाबला कर रही हैं। भाजपा सूत्रों ने कहा कि इमरती देवी की भतीजी की शादी राजे के परिवार में हुई है।
इन सीटों पर एक-दूसरे के खिलाफ रिश्तेदारों को मैदान में उतारने के बारे में पूछे जाने पर प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी ने पीटीआई से कहा, "मध्यप्रदेश भाजपा के लिए एक परिवार है। पार्टी कार्यकर्ता इस परिवार का हिस्सा हैं। पार्टी एक उपयुक्त कार्यकर्ता को मैदान में उतारने के बारे में निर्णय करती है।"
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