Pope Francis: पोप फ्रांसिस के निधन पर PM मोदी समेत दुनिया भर के नेताओं ने जताया दुख, कहा- विश्व ने खोया शांति का मसीहा, विनम्रता के लिए रखेगी याद

Last Updated 21 Apr 2025 03:02:52 PM IST

पोप फ्रांसिस के निधन के समाचार से दुनिया में शोक की लहर दौड़ गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र समेत दुनिया के ने उन्हें अपनी श्रद्धांजली दी और उन्हें ऐसे शख्स के रुप में याद किया जो गरीबों, कमोजरों के पक्ष में मजबूती से खड़ा रहा।


पोप फ्रांसिस का निधन सोमवार (21 अप्रैल) को वेटिकन के कासा सांता मार्टा स्थित उनके निवास स्थान पर हुआ वह 88 वर्ष के थे।

पीएम मोदी ने एक्स पर अपने शोक संदेश में कहा, "परम पावन पोप फ्रांसिस के निधन से मुझे गहरा दुख हुआ। दुख और स्मरण की इस घड़ी में, वैश्विक कैथोलिक समुदाय के प्रति मेरी हार्दिक संवेदनाएं।" उन्होंने कहा, "पोप फ्रांसिस को दुनिया भर में लाखों लोग करुणा, विनम्रता और आध्यात्मिक साहस के प्रतीक के रूप में हमेशा याद रखेंगे।"

प्रधानमंत्री ने कहा, "छोटी उम्र से ही उन्होंने प्रभु ईसा मसीह के आदर्शों को साकार करने में खुद को समर्पित कर दिया। उन्होंने गरीबों और वंचितों की लगन से सेवा की। जो लोग पीड़ित थे, उनके लिए उन्होंने आशा की उम्मीद जगाई। मुझे उनके साथ हुई मुलाकातें बहुत अच्छी तरह याद हैं और मैं समावेशी और सर्वांगीण विकास के प्रति उनकी प्रतिबद्धता से बहुत प्रेरित हुआ। भारत के लोगों के प्रति उनका स्नेह हमेशा याद रहेगा। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे।"

पोप फ्रांसिस के निधन पर विश्व के नेताओं ने शोक जताया है।

अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने कहा कि उनका 'दिल दुनिया भर के उन लाखों ईसाइयों के लिए दुखी है जो उनसे प्यार करते हैं।”

वेंस इस समय भारत में है और उन्होंने ईस्टर संडे (20 अप्रैल) को पोप फ्रांसिस से मुलाकात की थी।

वेंस ने एक्स पर लिखा, "कल उन्हें देखकर मुझे खुशी हुई, हालांकि वह स्पष्ट रूप से बहुत बीमार थे। लेकिन मैं उन्हें हमेशा कोविड के शुरुआती दिनों में दिए गए उनके प्रवचन के लिए याद रखूंगा। यह वास्तव में बहुत सुंदर था। भगवान उनकी आत्मा को शांति दे।"

यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने कहा, "उन्होंने कैथोलिक चर्च से परे, लाखों लोगों को अपनी विनम्रता और कम भाग्यशाली लोगों के प्रति शुद्ध प्रेम से प्रेरित किया।"

पोलिश प्रधानमंत्री डोनाल्ड टस्क ने पोप फ्रांसिस को एक "अच्छे, गर्मजोशी से भरे और संवेदनशील व्यक्ति" के रूप में याद किया।

मिस्र के राष्ट्रपति अब्दुल फत्ताह अल-सीसी ने कहा कि पोप फ्रांसिस 'शांति, प्रेम और करुणा की आवाज थे।'

स्पेन के प्रधानमंत्री पेड्रो सांचेज ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में कहा: "मैं पोप फ्रांसिस के निधन पर शोक व्यक्त करता हूं। शांति, सामाजिक न्याय और सबसे कमोजर लोगों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता एक गहरी विरासत छोड़ गई है।"

इतालवी प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी ने कहा, "यह खबर हमें बहुत दुख देने वाली है।" उन्होंने बयान में कहा, "मुझे उनकी दोस्ती का सौभाग्य मिला।"

मेलोनी ने कहा, "उन्होंने एक बार फिर दुनिया से दिशा बदलने के लिए साहत दिखाने को कहा, एक ऐसे मार्ग पर चलने के लिए कहा जो 'नष्ट नहीं करता, बल्कि ठीक करता है, सुरक्षित करता है। उनकी शिक्षा और उनकी विरासत कभी खत्म नहीं होगी।"

फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने पोप फ्रांसिस को श्रद्धांजलि देते हुए उन्हें "विनम्र व्यक्ति बताया जो सबसे कमजोर लोगों के पक्ष में खड़ा रहा।"

यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने कहा, "उन्होंने कैथोलिक चर्च से परे, लाखों लोगों को अपनी विनम्रता और कम भाग्यशाली लोगों के प्रति शुद्ध प्रेम से प्रेरित किया।"

पोलिश प्रधानमंत्री डोनाल्ड टस्क ने पोप फ्रांसिस को एक "अच्छे, गर्मजोशी से भरे और संवेदनशील व्यक्ति" के रूप में याद किया।

मिस्र के राष्ट्रपति अब्दुल फत्ताह अल-सीसी ने कहा कि पोप फ्रांसिस 'शांति, प्रेम और करुणा की आवाज थे।'

स्विस राष्ट्रपति कैरिन केलर-सटर ने कहा कि पोप फ्रांसिस एक "महान आध्यात्मिक नेता और शांति के अथक समर्थक थे।"

फ्रांसिस, पुरानी फेफड़ों की बीमारी से पीड़ित थे। युवावस्था में उनके एक फेफड़े का हिस्सा निकाल दिया गया था। उन्हें 14 फरवरी, 2025 को सांस की तकलीफ के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जो बाद में डबल निमोनिया में बदल गया। उन्होंने वहां 38 दिन बिताए।

रविवार को पोप फ्रांसिस ने ईस्टर संडे के अपने संबोधन में विचार की स्वतंत्रता और सहिष्णुता का आह्वान किया।

बेसिलिका की बालकनी से 35,000 से अधिक लोगों की भीड़ को ईस्टर की शुभकामनाएं देने के बाद, फ्रांसिस ने अपने पारंपरिक "उर्बी एट ओर्बी" ("शहर और दुनिया के लिए") आशीर्वाद को पढ़ने का काम एक सहयोगी को सौंप दिया।

उन्होंने भाषण में कहा , "धर्म की स्वतंत्रता, विचार की स्वतंत्रता, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और दूसरों के विचारों के प्रति सम्मान के बिना शांति नहीं हो सकती है।" उन्होंने "चिंताजनक" यहूदी-विरोध और गाजा में 'नाटकीय और निंदनीय' स्थिति की भी निंदा की।

पिछले महीने ही उन्हें संक्रमण के इलाज के पांच सप्ताह बाद अस्पताल से छुट्टी मिली थी।

 

आईएएनएस
नई दिल्ली


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