भारत के प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना ने गुरूवार को पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के विनोद चंद्रन को उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में शपथ दिलाई।
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न्यायमूर्ति चंद्रन के शपथ ग्रहण के साथ ही उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीशों की संख्या बढ़कर 33 हो गई है, जबकि स्वीकृत संख्या 34 है जिसमें प्रधान न्यायाधीश भी शामिल हैं।
केंद्र ने 13 जनवरी को सर्वोच्च न्यायालय के कॉलेजियम के उस प्रस्ताव को मंजूरी दी थी, जिसमें न्यायमूर्ति चंद्रन को सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश बनाने की सिफारिश की गई थी।
प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना की अगुवाई में पांच न्यायाधीशों के कॉलेजियम ने सात जनवरी को हुई बैठक में न्यायमूर्ति चंद्रन के नाम की सिफारिश की जिन्हें आठ नवंबर, 2011 को केरल उच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त किया गया था।
न्यायमूर्ति चंद्रन को 29 मार्च, 2023 को पटना उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया था।
कॉलेजियम के सात जनवरी के प्रस्ताव में कहा गया है, ‘‘उन्होंने 11 साल से अधिक समय तक उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में और एक साल से अधिक समय तक एक उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्य किया है। उच्च न्यायालय के न्यायाधीश और मुख्य न्यायाधीश के रूप में अपने लंबे कार्यकाल के दौरान न्यायमूर्ति चंद्रन ने कानून के विविध क्षेत्रों में महत्वपूर्ण अनुभव प्राप्त किया है।’’
सर्वोच्च न्यायालय के कॉलेजियम में न्यायमूर्ति बी. आर. गवई, न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय और न्यायमूर्ति अभय ओका भी शामिल थे, जिन्होंने उल्लेख किया था कि न्यायमूर्ति चंद्रन उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की संयुक्त अखिल भारतीय वरिष्ठता सूची में 13वें स्थान पर हैं।
प्रस्ताव के अनुसार, ‘‘केरल उच्च न्यायालय से आने वाले न्यायाधीशों की वरिष्ठता की सूची में न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन क्रम संख्या एक पर हैं। उनके नाम की सिफारिश करते समय, कॉलेजियम ने इस तथ्य को ध्यान में रखा है कि केरल उच्च न्यायालय से सर्वोच्च न्यायालय की पीठ में कोई प्रतिनिधित्व नहीं है।’’
प्रस्ताव में कहा गया है, ‘‘इसलिए, कॉलेजियम ने सर्वसम्मति से सिफारिश की है कि न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन को भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया जाए।’’
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