संसदीय कमेटी का सुझाव, MSP को ‘कानूनी गारंटी’ और किसान सम्मान निधि को डबल करने की सिफारिश
कृषि से संबंधित संसद की स्थाई समिति ने सरकार से सिफारिश की है कि किसानों के लिए फसल पर एमसपी को कानूनी रूप से बाध्यकारी बनाया जाए।
कांग्रेस सांसद चरणजीत सिंह चन्नी |
कांग्रेस सांसद चरणजीत सिंह चन्नी (Charanjit Singh Channi) की अध्यक्षता वाली कृषि, पशुपालन और खाद्य प्रसंस्करण संबंधी समिति ने किसान सम्मान निधि को छह हजार रुपये वाषिर्क से बढ़ाकर 12000 रुपये वाषिर्क करने और कृषि एवं किसान कल्याण विभाग का नाम बदलकर कृषि और किसान एवं खेत मजदूर कल्याण विभाग करने की सिफारिश भी की है। चन्नी ने समिति की रिपोर्ट मंगलवार को लोकसभा में पेश की।
बाद में उन्होंने कहा, 17 बैठकों के बाद समिति की रिपोर्ट सर्वसम्मति से स्वीकार की गई तथा यह रिपोर्ट कृषि क्षेत्र के लिए ‘मील का पत्थर’ साबित होगी।
उन्होंने कहा, हमने कृषि, पशुपालन, सहकारिता, डेयरी और मत्स्यपालन से संबंधित विभागों के बजट में बढ़ोतरी की सिफारिश की है। समिति ने सिफारिश की है कि मंत्रालय का नाम कृषि और किसान एवं खेत मजदूर कल्याण विभाग कर दिया जाए ताकि खेतिहर मजदूरों को भी लाभ मिल सके।
पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री ने बताया, हमने बड़ी अनुशंसा की है कि एमएसपी को कानूनी गारंटी दी जाए ताकि किसान की अर्थव्यस्था को मजबूत किया जा सके। रिपोर्ट में कहा गया है, भारत में कानूनी रूप से बाध्यकारी एमएसपी को लागू करना न केवल किसानों की आजीविका की सुरक्षा के लिए, बल्कि ग्रामीण आर्थिक विकास को बढ़ावा देने तथा राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा के लिए भी जरूरी है।
समिति का कहना है कि कानूनी गारंटी के रूप में एमएसपी को लागू करने के लाभ, उससे जुड़ी चुनौतियों से कहीं अधिक हैं। समिति ने यह सिफारिश भी की है कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि को सालाना 6000 रुपये से बढ़ाकर 12000 रुपये किया जाए तथा इसका लाभ खेतिहर मजदूर को भी दिया जाए।
चन्नी ने कहा, समिति ने सरकार से अनुशंसा की है कि किसान और खेतिहर मजदूरों के लिए कर्जमाफी योजना लेकर आना चाहिए क्योंकि किसान कर्ज के नीचे दबा जा रहा है और आत्महत्या करने को मजबूर है।
उन्होंने कहा, एससी सब-प्लान में पैसा पूरा खर्च नहीं हो रहा है, ऐसे में सरकार से अनुशंसा की गई है कि पूरा पैसा खर्च किया जाए। पशुपालन को विशेष क्षेत्र घोषित करने की सिफारिश की गई है। चन्नी के अनुसार, समिति ने गोशालाओं पर पैसे खर्च करने की सराहना की है। समिति द्वारा सिफारिश की गई है कि गोपालकों को आर्थिक मदद दी जाए ताकि वे दूध नहीं देने वाली गायों को नहीं छोड़ें।
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